आपको पहले ही बता दें कि इन दिनों देश में चर्चा का विषय बना हुआ बीएचयू की छात्राओं का आंदोलन वहां के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी की नजर में 'राजीनितिक फायदे' की मंशा के चलते हुआ था और पूरा मामला महज एक छेड़छाड़ की 'सामान्य घटना' थी. यहां हम आपको हाल ही में BHU मामले को लेकर दिए गए एक इंटरव्यू में उनके द्वारा दिए गए 10 ऐसे बयान बताने जा रहे हैं जिसे पढ़ कर शायद आप भी कह उठें कि उनका चुप रहना ही ज्यादा बेहतर है.
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा लड़कियों के साथ हुए कथित यौन उत्पीड़न के मामले को छेड़छाड़ की 'सामान्य घटना' बताने के बाद वह खबरों में तो आए ही साथ ही साथ सोशल मीडिया पर भी उनकी जमकर फजीहत हुई. कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी यह भी मानते हैं कि बीएचयू परिसर में हुई यह घटना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अपने संसदीय क्षेत्र के दौरे के ठीक एक दिन पहले 'जानबूझकर' सामने लाई गई थी.
आपको बता दें कि बीएचयू परिसर में एक छात्रा के साथ हुई छेड़खानी और उसके शिकायत करने के बाद भी सुरक्षाकर्मी द्वारा उसकी मदद न किए जाने के बाद वहां की तमाम छात्राओं ने अपनी सुरक्षा की मांग के साथ कुछ अन्य मांगों को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया था.
वीसी त्रिपाठी के अनुसार, विरोध राजनीति से प्रेरित था और "कुछ लोग निहित स्वार्थों और अनियमित इरादों के चलते इस घटना को प्रेरित कर रहे थे" उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी की यात्रा से पहले इस बात को भड़काने के लिए ही छेड़छाड़ की गई थी.
बीएचयू की छात्राओं ने दावा किया है कि विश्वविद्यालय में कोई लड़की नहीं है जिसे परिसर में परेशान ना किया गया हो या फिर उसके साथ छेड़छाड़ ना हुई हो. लेकिन, BHU के वीसी गिरीश चंद्र त्रिपाठी के पास एक अलग ही कहानी है. अब पढ़िए वीसी त्रिपाठी के वो 10 बयान...
1- "कभी-कभी मुद्दे होते हैं और कुछ मुद्दे पैदा होते हैं. यह मुद्दा बनाया गया था. मुझे लगता है कि यह समस्या बाहरी लोगों द्वारा बनाई गई थी और जो इस मामले ने अंत में जो आकार लिया वह प्रारंभिक घटना से भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है."
2- "सबसे पहले, यह यौन उत्पीड़न की घटना नहीं है, यह एक छेड़छाड़ का मामला है."
3- "छात्राएं ऐसी चीज के लिए खड़ी हुई थीं जो सच की तरह दिखता था लेकिन वह झूठ था."
4- "यदि लड़कियों पर फोर्स का इस्तेमाल किया गया, तो मुझे कोई जानकारी नहीं है."
5- "यह काफी बड़ा परिसर है, कहीं भी कुछ भी हो सकता है. हम हर छात्रा को गार्ड नहीं दे सकते."
6- "फोर्स का इस्तेमाल अपराधियों के खिलाफ किया गया था, छात्राओं के खिलाफ नहीं. ऐसी स्थिति थी कि फोर्स का इस्तेमाल करना पड़ा."
7- "अगर हम हर लड़की की हर मांग को सुनने लगें तो हम विश्वविद्यालय नहीं चला पाएंगे."
8- "यह अच्छा है कि एमएमवी और त्रिवेणी लड़कियों के हॉस्टल के लिए कर्फ्यू समय रात 8 बजे है, एक अन्य लड़कियों के छात्रावास में तो यह शाम 6 बजे है."
9- प्रोफेसर त्रिपाठी कहते हैं, "छात्राओं का विरोध प्रदर्शन एक छोटी सी घटना पर है."
10- "लड़कों और लड़कियों के लिए सुरक्षा कभी भी समान नहीं हो सकती."