'कैप्टन अमरिंदर सोनियाजी को धमका सके है, वीरभद्र धमका सकते हैं, अपना फैसला करा सकते हैं, तब हुड्डा साब क्यों ना कर सकते हैं'. ये भाषण हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह और उनके बेटे दीपेंदर सिंह हुड्डा के मंच से आया है. भाषण देने वाले हैं हरियाणा कांग्रेस के नेता चौधरी रणजीत सिंह चौटाला. बंद दरवाजे में हो रही बैठक में रणजीत ही नहीं तमाम नेता मंच से आलाकमान से हरियाणा कांग्रेस की कमान हुड्डा को सौंपने की मांग करते नज़र आए.
प्रदेश की कमान चाहते हैं हुड्डा
दरअसल, किसान आंदोलन के मद्देनजर हुड्डा ने दिल्ली में अपने निवास पर हरियाणा से अपने समर्थक नेताओं, कार्यकर्ताओं और किसान नेताओं को बुलाया था. हुड्डा अब हरियाणा में किसान आंदोलन को केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ मजबूती देने चाहते हैं. साथ ही इसके जरिये वो अपनी सियासी ताक़त दिखाकर आलाकमान पर दबाव डालकर प्रदेश की कमान चाहते हैं.
एक तरफ राहुल गांधी पूरे देश में घूम-घूम कर किसान आंदोलन को और तेज़ करने की कोशिश में जुटे हैं. उन्होंने सभी प्रदेश अध्यक्षों को ताकीद की है कि, वो अपने प्रदेशों में किसान आंदोलन की जानकारी हर स्तर पर लें और किसानों के साथ खड़े हों. इसीलिए हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ज़िला स्तर पर किसानों के मुद्दे पर बैठकें कर रहे हैं और भविष्य की रणनीति तैयार कर रहे हैं.
किसानों की 5 पंचायतों में अलग अलग हिस्सा लेंगे
वहीं दूसरी तरफ हुड्डा इसके समानांतर बैठकें कर रहे हैं और अपना कार्यक्रम बना रहे हैं. हुड्डा का कहना है कि, वो हरियाणा में किसानों की 5 पंचायतों में अलग अलग हिस्सा लेंगे. फिर खुद हरियाणा में एक बड़ी किसानों की महापंचायत बुलाएंगे। इसके बाद जिला स्तर पर किसान सभा करके गांव गांव पदयात्रा करेंगे. हुड्डा का कहना है कि, केंद्र की हरियाणा और केंद्र सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी की है.
आजतक ने हुड्डा से पूछा कि, आपके मंच से रणजीत सिंह जो भाषण दे रहे हैं, उससे आप सहमत हैं? इस पर हुड्डा ने कहा कि, अब मंच से कोई कुछ कहे तो मैं क्या करूँ, मैं तो कांग्रेस का अनुशासित सिपाही हूँ.
वहीं मंच से भाषण देने वाले चौधरी रणजीत सिंह से आजतक ने बन्द दरवाजे में मंच से दिए भाषण का ज़िक्र किया तो उन्होंने अपना भाषण दोहरा दिया, हां धमकाने जैसा शब्द अब वो बोलने से बचते रहे, लेकिन पंजाब के कैप्टन और हिमाचल के वीरभद्र का उदाहरण हुड्डा को देना नहीं भूले.
कुल मिलाकर ये जगजाहिर है कि, हुड्डा एक बार फिर हरियाणा कांग्रेस की कमान चाहते हैं. इससे पहले राहुल की रैलियों में भी हुड्डा समर्थक और तंवर समर्थक आपस में भिड़ चुके हैं. हर मौके पर हुड्डा अपनी ताकत दिखाने का मौका नहीं छोड़ते. इसी तरह किसानों के मुद्दे को हथियार बनाकर वो एक बार हरियाणा की कमान संभालने के लिए आलाकमान पर दबाव बनाने में जुट गए हैं