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जानिए, महज दो चुनावों में कैसे बदल गई AAP?

दिल्ली में दोबारा सत्ता में आने के बाद से ही आम आदमी पार्टी के रंग बदले बदले से नजर आ रहे हैं, जानिए कैसे महज दो चुनावों ने अलग राजनीति का बिगुल फूंकने वाली एक नई पार्टी को बदल कर रख दिया?

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अरविंद केजरीवाल (फाइल)
अरविंद केजरीवाल (फाइल)

दिल्ली में दोबारा सत्ता में आने के बाद से ही आम आदमी पार्टी के रंग बदले बदले से नजर आ रहे हैं, जानिए कैसे महज दो चुनावों ने अलग राजनीति का बिगुल फूंकने वाली एक नई पार्टी को बदल कर रख दिया?

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सत्ता का नया केंद्र
2013: शाज़िया इल्मी आप का हिस्सा थीं. प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव पार्टी में ख़ास ओहदा रखते थे.
2015: मनीष सिसौदिया, कुमार विश्वास, आशीष खेतान, आशुतोष पार्टी की ताकत का नया केंद्र हैं.

प्राथमिकताओं में बदलाव
2013: आम आदमी पार्टी ने जनता से राजनीति के नियमों को बदलने का वादा किया.
2015: अब पार्टी चुनावों में उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया को सही बताने का प्रयास कर रही है.

काम के नए तरीके
2013: पार्टी का दावा था कि हर फैसले को लोकतांत्रिक ढंग और कार्यकर्ताओं से पूछकर किया जाएगा.
2015: अब पार्टी के हर बड़े फैसले केजरीवाल या उनके खास आदमी करते हैं.

नए आदर्श
2013: आप ने शुरूआत में खुद को दूसरी पार्ट‌ियों से अलग और ईमानदार दिखाया था.
2015: दूसरे चुनाव तक आते-आते पार्टी की कथनी और करनी में अंतर दिखने लगा.

नया लक्ष्य
2013: पार्टी के सदस्यों का सरकार विरोधी प्रदर्शन और प्लान.
2015: गुड गवर्नेंस पार्टी की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है.

सौजन्य- न्यूजफ्लिक्स

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