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यूपी के बाद आंध्र में भी कांग्रेस को झटका, नायडू नहीं करेंगे गठबंधन !

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ बन रहे महागठबंधन के एक और साथी तेलुगू देशम पार्टी भी कांग्रेस के साथ चुनाव नहीं लड़ना चाहती. इससे पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भी कांग्रेस के बगैर गठबंधन का ऐलान कर चुके हैं.

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू (फाइल फोटो-पीटीआई)
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू (फाइल फोटो-पीटीआई)

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लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को उत्तर प्रदेश के बाद एक अन्य राज्य में भी बड़ा झटका लगा है. तेलंगाना में कांग्रेस के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ चुकी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) भी आंध्र प्रदेश में पार्टी के साथ लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहती. टीडीपी सूत्रों की मानें तो पार्टी आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल को देखते हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में सीटों पर समझौता नहीं करना चाहती.

राहुल गांधी से दिल्ली में मिले थे चंद्रबाबू नायडू

गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने दिल्ली में 8 जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की थी. इस मौके पर नायडू ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हराने और देश को बचाने के लिए सभी विपक्षी दलों का एक मंच पर आना लोकतांत्रिक मजबूरी है. ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि इस एक हफ्ते में क्या हुआ कि टीडीपी आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी विरोधी गठबंधन के सबसे बड़े दल से किनारा करना चाहती है.

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इससे पहले चंद्रबाबू नायडू ने नवंबर, 2018 में भी बीजेपी के खिलाफ तैयार हो रहे गठबंधन को मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए विभिन्न दलों के नेताओं से मुलाकात की थी. जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ बाहर आकर प्रेस को संबोधित करते हुए कहा था कि देश को बचाने के लिए सभी विपक्षी दलों को एक साथ आना होगा.

आंध्र में कांग्रेस खो चुकी है सियासी जमीन!

दरअसल, आंध्र विभाजन के बाद प्रदेश में उपजी नाराजगी का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा था. एक साथ हुए लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कांग्रेस सूपड़ा साफ हो गया. कभी कांग्रेस का गढ़ रहे आंध्र प्रदेश की विधानसभा में आज की तारीख में न तो कांग्रेस का कोई विधायक है और न ही प्रदेश से कांग्रेस का कोई सांसद. बता दें कि प्रदेश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने हैं. जाहिर है ऐसे में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर पार्टी को विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन करना पड़ेगा.

टीडीपी के गठबंधन नहीं करने के 4 कारण

टीडीपी के कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने के कई कारण हो सकते हैं. जिसमें पहला कारण तो यही है कि 2018 के आखिर में तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-टीडीपी का गठबंधन कुछ खास गुल नहीं खिला पाया, इसके विपरीत इसका उलटा असर देखने को मिला. दूसरा, इसकी कोई गारंटी नहीं है की आंध्र प्रदेश में कांग्रेस और टीडीपी के वोट एक दूसरे को ट्रांसफर होंगे ही. तीसरा और सबसे अहम कारण यह है कि राज्य में आंध्र विभाजन को लेकर कांग्रेस के खिलाफ अभी भी नाराजगी है और गठबंधन की सूरत में इसका खामियाजा टीडीपी को उठाना पड़ सकता है. चौथा, यह कि कांग्रेस के अकेले चुनाव लड़ने से सत्ताविरोधी वोट कांग्रेस और जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस में बंटेगा, जिसका सीधा फायदा टीडीपी को मिल सकता है.

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बता दें कि आंध्र प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगनमोहन रेड्डी ने हाल ही में अपनी 340 दिनों की प्रजा संकल्प यात्रा पूरी की है, उनकी इस यात्रा को अच्छा खासा समर्थन भी मिला और उनकी लोकप्रियता भी बढ़ी है.

तेलंगाना कांग्रेस का आलाकमान पर है दबाव

तेलंगाना विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस की तेलंगाना इकाई के नेता भी पार्टी आलाकमान पर दबाव डाल रहे हैं कि टीडीपी के साथ भविष्य में गठबंधन न किया जाए. क्योंकि इसका राज्य में इसका उलटा असर देखने को मिला. जबकि आंध्र प्रदेश में काग्रेस के नेताओं का मानना है कि एक बार टीडीपी के साथ गठबंधन कर लेने से पार्टी को राज्य में टीडीपी से कमतर आंका जाने लगेगा. लिहाजा पार्टी को राज्य में अपने दम पर चुनाव लड़ते हुए अपनी ताकत का अंदाजा लगाना चाहिए.

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