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RJD की टूट में पड़ी फूट, लालू की पार्टी का दावा- 13 बागी विधायकों में से 6 वापस लौटे

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में टूट की खबर है. सूत्रों ने बताया कि पार्टी के 13 विधायकों ने बगावत कर दी है. इन विधायकों ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर अलग गुट के तौर पर मान्यता देने की मांग की है.

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आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में बगावत का सियासी ड्रामी जारी है. आरजेडी विधायक सम्राट चौधरी ने दावा किया कि 13 विधायक अलग होने को तैयार हैं. इन विधायकों ने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर अलग गुट के तौर पर मान्यता देने की मांग की जिसे विधानसभा ने मंजूरी भी दे दी. लेकिन आरजेडी ने दावा किया है कि 13 बागी विधायकों में से 6 लौट आए हैं. साथ ही पार्टी ने आरोप लगाया है कि इस तोड़फोड़ के पीछे सत्ताधारी नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड है.

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बागी विधायकों में से 6 वापस लौटेः आरजेडी
राष्ट्रीय जनता दल ने दावा किया है कि बागी विधायकों में से 6 वापस लौट आए हैं. पार्टी के मुताबिक दुर्गा प्रसाद सिंह, डॉ. फैयाज अहमद, डॉ. अब्दुल गफूर, चंद्रशेखर, ललित कुमार यादव और अख्तरुल इस्लाम शाहीन अब भी आरजेडी का ही हिस्सा हैं.

आरजेडी के 13 विधायकों को अलग गुट की मान्यता
इन सबके बीच बिहार विधानसभा सचिव ने भी चौंकाने वाला फैसला लेते हुए आरजेडी के 13 विधायकों को अलग गुट की मान्यता दे दी. इस संबंध में विधानसभा सचिव ने अधिसूचना भी जारी कर दी.

बिहार विधानसभा सचिव ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके मीडिया को यह जानकारी दी कि आरजेडी के 13 विधायकों ने अलग गुट की मान्यता के लिए राज्यपाल को चिट्ठी लिखी थी. बागी विधायकों में राघवेंद्र प्रताप सिंह, सम्राट चौधरी, राम लशन राम रमन, जावेद इकबाल अंसारी, अनिरुद्ध कुमार, दुर्गा प्रसाद सिंह, अख्तरुल इमाम, डॉ. फैयाज अहमद, जितेंद्र कुमार राय, डॉ. अब्दुल गफूर, चंद्रशेखर, ललित कुमार यादव और अख्तरुल इस्लाम शाहीन का नाम आया. हालांकि, आरजेडी ने दावा किया कि इनमें से 6 विधायक पार्टी में बने हुए हैं.

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इस पर जब लालू से पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'हां मैंने यह खबर सुनी है, पर इसमें सब कुछ सच नहीं है. अभी हम पता कर रहे हैं.'

तीन MLA बोले, हम आरजेडी में ही हैं
बागी बताए जा रहे 13 में से तीन विधायकों ने आज तक से बातचीत में साफ किया कि वह आरजेडी के साथ बने हुए हैं. ये विधायक हैं- ललित यादव, अब्दुल गफ्फूर और दुर्गा प्रसाद यादव. अब्दुल गफ्फूर ने कहा, 'हम पूरे मन से. विचार से, लालू यादव और अब्दुल बारी सिद्दीकी के साथ राजद में बने हुए हैं. हमने किसी भी दल बदल वाले कागज पर दस्तखत नहीं किया है. सम्राट चौधरी ने ध्यानाकर्षण के नाम पर दस्तखत करवाया था, दो महीने पहले. उनके लोकसभा टिकट के लिए भी दस्तखत किया था. मगर पार्टी छोड़ने के नाम पर कोई दस्तखत नहीं हुआ है.'

MLA दुर्गा प्रसाद यादव ने कहा, 'ऐसा अभी कोई मुद्दा नहीं है कि पार्टी छोड़ी जाए. आने वाले वक्त का जवाब आगे मिलेगा. न्यूज के माध्यम से सूचना मिली, मेरे पास कई लोगों के फोन आए. हमें नहीं पता कैसे नाम दिया गया. मेरी जानकारी में ये बात नहीं है कि मैंने किसी ऐसे पेपर पर साइन किए.'

एक अन्य विधायक ललित यादव ने कहा, '13 लोगों की सूची में कौन नाम पेश किया, नहीं पता. विधानसभा में कॉल अटेंशन के दौरान कई कागजों का आदान प्रदान होता है. अगर हम जाएंगे तो खुल्लम-खुल्ला जाएंगे. मगर इसका कोई प्रश्न नहीं उठता है. हमें मीडिया से सूची के बारे में पता चला.'

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सरकार से मिलकर लालच में की गई बदमाशी: सिद्दीकी
आरजेडी विधायक अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि जिसने भी 13 विधायकों की सूची दी है, उसने सरकार के साथ मिलकर किसी लालच से बदमाशी की है. देखिए इनमें से ये तीन विधायक दौड़े चले आ रहे हैं कि उन्होंने यह नहीं किया है. उनका कहना है कि चलते सत्र के दौरान कुछ लोगों ने धोखे से दस्तखत करा लिए होंगे.'

सिद्दीकी ने इशारों-इशारों में मधुबनी से चुनाव लड़ने की इच्छा भी जता दी. उन्होंने कहा, 'लोग पचास तरह के कयास लगाते रहते हैं. हमसे पूछा गया कि क्या मधुबनी से चुनाव लड़ेंगे, हमने कहा दावेदारी मजबूत है. अगर टिकट नहीं मिलता है तो तकलीफ होगी. मगर इसका ये मतलब नहीं कि हम दल छोड़ रहे हैं.'

मोदी के रथ को रोकने के लिए टूटे विधायक: JDU
जेडीयू ने भी टूट की खबर की पुष्टि कर दी है. पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि इन विधायकों ने स्वीकार किया है कि मोदी के रथ को नीतीश ही रोक सकते हैं. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी का जिस तरह से वर्चस्व हुआ, उसी को लेकर पासवान अलग हुए और इसी वजह से अल्पसंख्यक समुदाय के विधायक अलग हो रहे हैं. इस गुट ने खास तौर पर कहा है कि बिहार में नरेंद्र मोदी के रथ को रोकना है तो जेडीयू के अलावा कोई विकल्प नहीं है. इसलिए चुनाव करीब आते देखकर और वहां की सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों को देखकर सभी विधायकों ने तय किया है कि कांग्रेस के साथ लालू जी का जाना राजनीतिक भूल है और सिर्फ नीतीश की जेडीयू ही चुनावी चुनौती पेश कर सकती है.'

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क्या कमजोर हो रहे हैं लालू?
आपको बता दें कि मौजूदा विधानसभा में राष्ट्रीय जनता दल के 22 विधायक हैं. इसलिए अगर ये विधायक किसी और पार्टी में शामिल होते हैं तो इन पर दल-बदल कानून लागू होगा. क्योंकि विद्रोह करने वाले विधायकों की संख्या दो तिहाई से कम है.

अब बीजेपी का गठबंधन और नीतीश के गठबंधन के बीच सीधी टक्कर की गुंजाइश बढ़ेगी. इसे लालू यादव के कमजोर होने के संकेत के तौर पर भी देखा जा रहा है. इससे पहले लालू को विधायकों की तरफ से इतना बड़ा झटका नहीं लगा. अभी तक लालू दम भर रहे थे. मगर ये तय है कि उनके चुनावी दौड़ से बाहर होते ही पार्टी पर शिकंजा ढीला होने लगा.

टूट की खबर पर आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने बताया, ‘यह संभव ही नहीं है. फिलहाल बिहार में आरजेडी के 22 विधायक हैं और दो तिहाई विधायकों की संख्या 15 होती है तो अगर ऐसा होता भी है तो इन पर दल बदल कानून लागू होगा.’ साथ ही उन्होंने बताया कि जिन विधायकों का नाम लिया जा रहा है उनमें से चार विधायक (ललित यादव, अब्दुल गफूर, दुर्गा प्रसाद और चंद्रशेखर) उनके साथ मौजूद हैं.

जनता नहीं है RJD के साथ
इस टूट की खबर पर बिहार कांग्रेस के प्रवक्ता प्रेम गुप्ता ने कहा, 'जो तरीका अपनाया जा रहा है, वह लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है. नीतीश जी खुद स्वस्थ परंपराओं की दुहाई देते रहे हैं और अब इस तरह की हरकत कर रहे हैं.'

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बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि इससे पता चलता है कि जनता लालू यादव के साथ नहीं है. गौरतलब है कि लालू यादव के लिए यह एक ही दिन में दूसरा झटका है. इससे पहले, लंबे वक्त से साथी रहे रामविलास पासवान के बीजेपी से नजदीकियां बढ़ने की खबरें आईं. सूत्रों ने बताया कि बीजेपी और पासवान की पार्टी एलजेपी में गठबंधन लगभग तय है.

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