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बिहार: 7 दिनों से नक्सलियों के कब्जे में कैद 3 पुलिसवाले रिहा

बिहार में करीब एक हफ्ते से चला आ रहा नक्सली बंधक खत्म हो चुका है. माना जा रहा है कि नक्सलियों ने मानवीय संवेदनाओं के आधार पर 3 पुलिसवालों को छोड़ने का फैसला किया.

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बिहार के लखीसराय जिले में गत 29 अगस्त को हुई मुठभेड के बाद से अपहृत तीनों पुलिसकर्मी रिहा हो गए जबकि खोजबीन अभियान के दौरान पुलिस ने प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के एक स्वयंभू एरिया कमांडर सहित सात नक्सलियों को गिरफ्तार कर लिया.

राज्य के पुलिस महानिदेशक नीलमणि ने बताया कि मानिकपुर के अवर निरीक्षक अभय यादव, कजरा थाना के प्रशिक्षु अवर निरीक्षक रूपेश कुमार सिंह और बीएमपी के हवलदार अहसान खान रिहा हो गए हैं और खोजबीन अभियान के दौरान पुलिस ने प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के एक स्वयंभू एरिया कमांडर सहित सात नक्सलियों को गिरफ्तार कर लिया.

जीप पर सवार होकर सोमवार की करीब सुबह आठ बजे लखीसराय नगर थाना पहुंचे इन कर्मियों के साथ थाने में मौजूद बिहार पुलिस मेंस एसोसियेशन के प्रवक्ता अभिनंदन यादव ने बताया कि रिहा किए गए सभी पुलिसकर्मी स्वस्थ और सकुशल हैं. पुलिस के आला अधिकारी एक मेडिकल टीम के साथ लखीसराय नगर थाना पहुंच गए हैं और रिहा पुलिसकर्मियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है. इसके बाद उनसे पुलिस पदाधिकारी उनसे घटना के बारे में पूछताछ करेंगे.

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बिहार सरकार द्वारा गत चार सितंबर को पटना में आयोजित सर्वदलीय बैठक के बाद प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के स्वयंभू प्रवक्ता अविनाश ने सरकार की बातचीत की पेशकश को ठुकराते हुए एक टीवी चैनल के पत्रकार को फोन पर बंधक तीनों पुलिसकर्मियों को बिना शर्त कल सुबह आठ बजे तक रिहा कर दिए जाने की बात कही थी.

{mospagebreak}नक्सलियों के स्वयंभू प्रवक्ता अविनाश ने कहा था उनके संगठन की केंद्रीय समिति ने बंधकों को सरकार या पुलिस के हवाले करने के बजाय सीधे उनके परिवार के सदस्यों को सौंपने का निर्णय लिया है. यह पूछे जाने पर क्या वे मीडियाकर्मियों के समक्ष बंधकों को उनके परिवार को सौंपेंगे, अविनाश ने कहा था कि इस बारे में मीडिया वालों को भी जानकारी नहीं दी जाएगी. नक्सलियों ने उन्हें कल रिहा नहीं बल्कि आज सुबह छोड़ा.

बिहार पुलिस एसोसियशन के प्रवक्ता अभिनंदन यादव ने अपहृत पुलिसकर्मियों को रिहा किए जाने के लिए माओवादियों सहित पुलिस एवं प्रशासन को बधायी दी और प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस संबंध में पहल करने के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि पुलिस एवं प्रशासन के दबाव तथा मुख्यमंत्री की पहल के कारण ही आज ये रिहा हो पाए हैं.

उन्होंने बताया कि अपहृत पुलिसकर्मियों की सकुशल रिहाई के लिए एसोसियेशन के सभी अधिकारी तीन दिनों से यहां डेरा डाले हुए थे.

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यादव ने बताया कि अपहृत पुलिसकर्मियों की सकुशल रिहाई के लिए पुलिस द्वारा छापामारी अभियान लगातार जारी था और इसी दौरान अपात अवर निरीक्षक के परिवारों वालों को नक्सलियों ने वाहन के साथ चानन क्षेत्र में बुलाया था.

उन्होंने बताया कि नक्सलियों ने इन तीनों पुलिसकर्मियों को आंखों में पट्टी बांधकर प्रात: चार बजे जंगल में छोड़ दिया और करीब सात बजे ये लोग रोड के समीप पहुंच गए थे जहां से ये उनको लेने गए वाहन पर सवार हो गए.

{mospagebreak}बिहार पुलिस एसोसियेशन के प्रवक्ता अभिनंदन यादव ने बताया कि अभय यादव को लाने के लिए उनके मामा शंभु यादव वाहन लेकर गए थे. रिहा किए गए पुलिसकर्मियों के लखीसराय थाना पहुंचने पर थाने का मुख्यद्वारा बंद कर दिया गया है और अभी मीडियाकर्मियों से इन पुलिसकर्मियों के रूबरू नहीं कराया गया है.

नौ दिनों तक माओवादियों के कब्जे में रहे रिहा किए गए पुलिसकर्मियों के बारे में यादव ने पुलिसकर्मियों के हवाले से बताया कि उनके साथ नक्सलियों ने कोई दुर्व्यवहार नहीं किया और भोजन सहित उनकी अन्य आवश्यक्ताओं का ख्याल रखा गया.

उल्लेखनीय है कि गत 29 अगस्त को लखीसराय जिले के कजरा थाना क्षेत्र के रामटालनगर गांव के पास हुई मुठभेड़ में सात पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे जबकि माओवादियों ने चार पुलिसकर्मियों का अपहरण कर लिया था नक्सली चारों बंधकों की रिहाई के एवज में सरकार से बिहार के विभिन्न जेलों में बंद उनके आठ साथियों जय पासवान, विजय चौरसिया, प्रेम भूषण, प्रमोद बर्नवाल, रामविलास तांती, रमेश तिर्की, अजरुन कोडा और रत्तू कोडा की रिहाई की मांग कर रहे थे.

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माओवादियों ने पुलिसकर्मियों में से एक लुकास टेटे की गत तीन अगस्त को हत्या कर दी थी जबकि अन्य अवर निरीक्षक रूपेश कुमार और अभय प्रसाद यादव तथा बीएमपी हवलदार एहसान खान को अपने कब्जे में रखा था.

{mospagebreak}टेटे की हत्या के बाद पुलिस ने खोजबीन अभियान तेज कर दिया था और इस पूरे अभियान के दौरान पुलिस ने प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के एक स्वयंभू एरिया कमांडर सहित कुल सात नक्सलियों को गिरफ्तार किया था.

इससे पूर्व किशनजी नामक एक स्वयंभू नक्सली नेता बंधक बनाए गए तीन पुलिसकर्मियों में से एक अभय के परिजनों से भेंट करने खगड़िया कल उनके घर गए थे. किशनजी ने अभय की पत्नी रजनी यादव को आश्वासन दिया था कि उनके पति कल शाम तक घर पहुंच जाएंगे. नक्सलियों की घोषणा के बाद कल शाम तक अपहृत किए गए पुलिसकर्मियों के उनके घर नहीं पहुंचने पर फिर से उनकी सकुशल रिहाई को लेकर अनिश्चित वातावरण बना रहा और इन दौरान पुलिस ने खोजबीन अभियान जारी रखा.

उल्लेखनीय है कि गत चार सितंबर को सर्वदलीय बैठक के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया था कि सभी दलों के प्रतिनिधियों ने माओवादियों से तीनों बंधक पुलिसकर्मियों को छोड़ देने की अपील की है.

उन्होंने यह भी बताया था कि सभी दल के प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि माओवादी इस मसले पर सरकार से आमने-सामने बातचीत के लिये आयें और बात-चीत का परिणाम चाहे जो भी हो उन्हें किसी प्रकार की पुलिस कार्रवाई का सामना नहीं करना पड़ेगा बल्कि उन्हें सुरक्षित जाने दिया जाएगा.

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