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नेपाल-चीन से आने वालीं ये 9 नदियां हर साल बिहार-असम में मचाती हैं तबाही

बिहार और असम, दोनों ही राज्य इस समय बाढ़ से प्रभावित हैं. दोनों राज्यों की विडंबना ये है कि इनकी नदियां तब प्रचंड रूप धारण करती हैं, जब नेपाल और चीन खुद को बचाने के लिए नदियों पर बने बांधों के दरवाजे खोल देते हैं. अभी बिहार और असम में बाढ़ का कहर जारी है.

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असम के क्राबी आंगलोंग जिले के एक गांव में बांस की नाव से जाती लड़कियां.(फोटोः रॉयटर्स)
असम के क्राबी आंगलोंग जिले के एक गांव में बांस की नाव से जाती लड़कियां.(फोटोः रॉयटर्स)

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बिहार और असम, दोनों ही राज्य इस समय बाढ़ से प्रभावित हैं. दोनों राज्यों की विडंबना ये है कि इनकी नदियां तब प्रचंड रूप धारण करती है जब नेपाल और चीन खुद को बचाने के लिए इन नदियों पर मौजूद बांधों के दरवाजे खोल देते हैं. अभी बिहार और असम में बाढ़ का कहर जारी है. दोनों राज्यों में कुल 55 लोगों की मौत हो चुकी है.  

बिहार में एनडीआरएफ की करीब 19 टीमें तैनात हैं. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को हरसंभव मदद का भरोसा दिया है. राज्य में अब तक 33 लोगों की मौत हो चुकी है. 16 जिलों में 25.71 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. उधर, असम के 33 जिले भी बाढ़ की चपेट में हैं, जिनमें 17 लोगों की मौत हुई है और 45 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं. राज्य में ब्रह्मपुत्र नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है. असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बताया कि राज्य के 4,157 गांवों के 42.87 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं.

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assam-750_071719115156.jpgहर साल ऐसा ही नजारा दिखता है असम और बिहार में. (फोटोः AP)

आइए जानते हैं कि नेपाल-चीन से निकलने वाली वो कौन सी नदियां हैं जो बिहार-असम को डूबा देती हैं...

बिहार में बाढ़ लाने वाली नदियां

1. कोसी नदी

यह तिब्बत-नेपाल के हिमालय से निकलती है. यह नेपाल के हनुमान नगर के रास्ते बिहार के पूर्णिया से होते हुए कटिहार के कुरसेला में गंगा से मिल जाती है. इसे बिहार का श्राप कहते हैं. क्योंकि हर साल सबसे ज्यादा तबाही यही लेकर आती है. इसे सप्तकोशी भी कहते हैं. क्योंकि इसकी सात शाखाएं हैं. इसमें चीन और तिब्बत से उत्पन्न होने वाली नदियां भी मिलती हैं.

assam-flood_071919032858.jpgअसम में बाढ़

2. गंडक नदी

यह नदी तिब्बत के धौलागिरी से शुरू होती है. फिर नेपाल के त्रिवेणी कस्बे के जरिए बिहार में प्रवेश करती है. इस नदी में बाढ़ आती है तो पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, सारन और वैशाली जिलों के कई इलाकों में पानी भर जाता है.

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3. बूढ़ी गंडक नदी

बूढ़ी गंडक नदी नेपाल से सटे सोमेश्वर पहाड़ी से शुरू होती है और गंडक के समानांतर बहती है. पश्चिमी चंपारण के बिसंभरपुर के पास चौतरवा चौर से बिहार में प्रवेश करती है. इसमें बाढ़ आने पर पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और बेगुसराय प्रभावित होते हैं. यह खगड़िया में गंगा से मिल जाती है.

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4. बागमती नदी

यह नदी नेपाल के शिवपुरी पहाड़ियों से शुरू होती है. इसके बाद सीतामढ़ी के शोरवतिया गांव के रास्ते बिहार में प्रवेश करती है. यह मुजफ्फरपुर, दरभंगा और समस्तीपुर में बहती है. ललबकिया और लखनदेई इसकी शाखाएं हैं. बदलाघाट में जाकर यह कोसी नदी से मिल जाती है.

assam-flood-2_071919032915.jpgअसम में बाढ़

5. कमला नदी

ये नदी नेपाल में सिंधुलियागढ़ी के पास स्थित महाभरता पहाड़ियों से शुरू होती है. यह नदी बिहार के मधुबनी जिले के जयनगर कस्बे से बिहार में प्रवेश करती है. यहीं पर राज्य सरकार ने कमला बैराज बनाया है. धौरी, सोनी, बालन और त्रिशुला इसकी मुख्य शाखाएं हैं.

6. घाघरा नदी

इस नदी की उत्पत्ति नेपाल के नंपा में हुई है. यह बिहार में गोपालगंज के रास्ते प्रवेश करती है. इसके बाद छपरा में जाकर गंगा में मिल जाती है.

 

 असम को डूबाने वाली चीन की नदियां

 1. ब्रह्मपुत्र नदी

ब्रह्मपुत्र नदी की उत्पत्ति तिब्बत के बुरांग काउंटी में स्थित आंगसी ग्लेशियर से होती है. 97 किमी बाद मानसरोवर लेक से होती हुई आगे बढ़ती है. इसे तिब्बत में सांगपो नदी कहते हैं. जबकि चीन में यारलंग जांगबो पुकारा जाता है. इसमें करीब 11 पहाड़ी नदियां मिलती हैं, जो इसे बेहद ताकतवर बना देती हैं. तिब्बत से निकलने के बाद यह अरुणाचल प्रदेश की तरफ जाती है. वहां, इसे सियांग के नाम से पुकारा जाता है. फिर वहां से यह लोहित के पास असम में प्रवेश करती है. तब इसे ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है.

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असम में नदी की चौड़ाई 20 किमी तक हो जाती है. बाद में यह बांग्लादेश में जाकर गंगा के डेल्टा से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. बांग्लादेश में इसे जमुना कहते हैं. जून से सितंबर तक के मॉनसून सीजन के दौरान असम में यह तबाही मचा देती है. असम का काजीरंगा नेशनल पार्क डूब जाता है.

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2. दिबांग नदी

अरुणाचल प्रदेश के दिबांग घाटी जिले में भारत-चीन सीमा के नजदीक स्थित केया पास के करीब इसकी उत्पत्ति होती है. इसे सिकांग और तालों भी कहते हैं.

3. लोहित नदी

तिब्बत के कांगरी गारपो रेंज से निकलकर यह अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ों से होते हुए असम में पहुंचती है. इसे खून की नदी भी कहा जाता है. मिशमी हिल्स से होते हुए ब्रह्मपुत्र में मिल जाती है.

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