बिहार विधानसभा में गुरुवार को जाति आधारित जनगणना से जुड़े प्रस्ताव को पारित कर दिया गया. नीतीश कुमार राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध करते रहे हैं लेकिन जातिगत जनगणना के पक्ष में वे शुरू से रहे हैं. अभी हाल में बिहार विधानसभा में एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया गया है. इस दौरान उन्होंने प्रस्ताव दिया कि विधानसभा एक नया "सर्वसम्मत" प्रस्ताव पारित करे जिसमें जातियों की आबादी को ध्यान में रखते हुए जनगणना कराने की बात कही गई हो.
बता दें, नीतीश कुमार लंबे समय से कहते आ रहे हैं कि केंद्र जनगणना के जाति के आंकड़े जारी करे. उनका कहना है कि इसके बगैर विभिन्न जातियां खुद अपने आंकड़े दे रही हैं और दावा कर रही हैं कि उन्हें सरकार में कम प्रतिनिधित्व हासिल है. हालांकि उनकी इस मांग को चुनावी साल में मजबूत वोट बैंक का समर्थन हासिल करने का पैंतरा बताया जा रहा है.
ये भी पढ़ें: 'बात बिहार की' कैंपेन में कंटेंट चोरी! पटना में प्रशांत किशोर पर केस
बिहार विधानसभा में जिस दिन एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ उसी दिन नीतीश कुमार ने कहा कि जिस सदन ने पिछले साल सर्वसम्मति से जाति आधारित जनगणना का प्रस्ताव पारित किया था, उसे नए सिरे से आगे बढ़ाने पर विचार करना चाहिए. इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, सदन उचित समय पर जाति-आधारित जनगणना पर एक नए प्रस्ताव लाने पर विचार करेगा, यदि सभी सदस्य इसमें शामिल हों. इसके बाद गुरुवार को विहार विधानसभा ने जनगणना आधारित प्रस्ताव को पारित कर दिया.
इससे पहले मंगलवार को बिहार विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन एनआरसी लागू नहीं करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में एक संशोधन के साथ 2010 के प्रारूप में इसे लागू करने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया गया. बजट सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को विधानसभा में वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी की ओर से 2020-21 का बजट पेश किए जाने के बाद एनआरसी लागू नहीं करने का प्रस्ताव लाया गया, जिसे सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने इसकी घोषणा की.
ये भी पढ़ें: बिहार: सीएम नीतीश कुमार बोले- मुफ्त नहीं, सस्ती बिजली मिलनी चाहिए