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आधार कार्ड ने बिछड़े 9 बच्चों को घरवालों से मिलाया, छपरा के बाल गृह में रह रहे थे

पासपोर्ट हो या ड्राइविंग लाइसेंस, मोबाइल का सिम लेना हो या कॉलेज में दाखिला हो, हर जगह हर विभाग में आधार कार्ड की जरूरत पड़ती है. देश के हर नागरिक के लिए आधार कार्ड अनिवार्यता बन गया है.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

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पासपोर्ट हो या ड्राइविंग लाइसेंस, मोबाइल का सिम लेना हो या कॉलेज में दाखिला हो, हर जगह-हर विभाग में आधार कार्ड की जरूरत पड़ती है. देश के हर नागरिक के लिए आधार कार्ड अनिवार्य बन गया है. लेकिन इसकी उपयोगिता यहीं खत्म नहीं हो जाती है. घरों से बिछड़े बच्चों को भी आधार दोबारा परिजनों के पास पहुंचाने के लिए भी ‘आधार’ का काम कर रहा है.

बिहार के छपरा में ऐसा ही कुछ हुआ. छपरा के बालगृह में रह रहे 9 बच्चों को आधार कार्ड की मदद से उनके घरवालों को सौंपा गया. ये सभी बच्चे देश के अन्य हिस्सों से भटक कर छपरा आ गए थे और यहां बालगृह में रह रहे थे. कुछ बच्चे तो ढाई साल से भी अधिक समय से यहां रह रहे थे.  

दरअसल, बाल गृह में रहने वाले हर बच्चे का प्रशासन की तरफ से ही आधार कार्ड बनवाया जाता है. जब इन बच्चों का कार्ड बनवाया जा रहा था तो पता चला कि इनके आधार कार्ड पहले से ही बने हुए हैं. बाल गृह प्रबंधन ने बच्चों के आधार की पुरानी डिटेल्स निकलवा कर उनके घरवालों से संपर्क किया.

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बिहार के समाज कल्याण निदेशक राज कुमार की उपस्थिति में सारण जिला प्रशासन ने गुरुवार को 9 बच्चों को उनके घरवालों को सौंपा. बच्चे और अभिभावकों की आंखों में जहां दोबारा मिलने की वजह से खुशी के आंसू थे. प्रशासन की ओर से बच्चों को उपहार दिए गए. उनके घरवालों को भी अंगवस्त्रम से सम्मानित किया गया.

समाज कल्याण निदेशक राज कुमार ने कहा कि इन बच्चों के उनके घरवालों से दोबारा मिलने से पता चलता है कि आधार कार्ड हमारे जीवन में कितना उपयोगी है. इस मौके पर सारण के उप विकास आयुक्त रौशन कुशवाहा भी मौजूद रहे.

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