अपने दामाद को पीए रखने के मामले में बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी घिरते नजर आ रहे हैं. बिहार सरकार के नियमों का उल्लंघन कर आखिर कैसे मुख्यमंत्री मांझी ने अपने दामाद को अपना पीए रख लिया, यह बड़ा सवाल है.
हालांकि मुख्यमंत्री इस सवाल से साफ बचते दिखे, लेकिन सरकार का पुराना नियम उनके गले की फांस बन गया है.
देवेन्द्र कुमार मुख्यमंत्री के अपने दामाद हैं. वैसे तो वे साल 2010 से ही जीतन राम मांझी के पीए के पद पर तैनात हैं, जब वे नीतीश कैबिनेट में एक मंत्री थे. लेकिन वे जीतन राम मांझी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके पीए कैसे बने, इस पर सवाल उठ गया है. दरअसल सरकारी सर्कुलर में यह साफ लिखा है कि कोई भी मंत्री या मुख्यमंत्री अपने किसी रिश्तेदार को अपना पीए नहीं बना सकता. अब इस सवाल पर हंगामा मच रहा है कि क्या नियमों की अनदेखी कर खुद जीतन राम मांझी ने अपने दामाद को अपना पीए बनाया?
जीतन राम मांझी जब इस सवाल से घिरते नजर आए, तो कन्नी काट गए. उन्होंने बस इतना ही कहा, 'आरोप तो मेरे ऊपर लगते ही रहते हैं.'
दरअसल, साल 2000 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने एक नियम बनाया था, जिसमें कोई भी मंत्री या मुख्यमंत्री अपने किसी रिश्तेदार को अपना पीए नहीं रख सकता है. यहां तक कि मंत्री या मुख्यमंत्री को अपना पीए रखते वक्त यह शपथपत्र भी देना होता है कि पीए उनका रिश्तेदार नहीं है.
कई मंत्रियों ने इस मसले पर यह कहकर उनकी मुसीबत और बढा़ दी कि सभी मंत्रियों को इस नियम की जानकारी है.
उधर, नेता विपक्ष सुशील कुमार मोदी ने भी मांझी पर निशाना साधा है और कहा है कि उनके पीए से पैसा वसूल किया जाना चाहिए. हालांकि मोदी ने यह भी कहा कि ये नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के बीच के तनाव की वजह से हुआ है.
सुशील मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह अनैतिक काम किया है, जिसकी न सिर्फ निंदा होनी चाहिए, बल्कि उनके दामाद से सरकारी खजाने का पैसा भी वसूला जाना चाहिए. लेकिन मोदी ने आजतक से फोन पर हुई बातचीत में यह भी कहा ये नीतीश खेमे की साजिश है, जो जीतन राम मांझी को हटाने पर तुला है.
बहरहाल, मुख्यमंत्री के दामाद का यह मामला आने वाले वक्त में बड़ा सियासी रंग ले सकता है.