बिहार सरकार ने राज्य में मानसून में वर्षा की स्थिति काफी दयनीय होने के कारण प्रदेश के 28 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित कर दिया है.
राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि प्रदेश के जिन 28 जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया, वहां की स्थिति से संबंधित एक प्रस्ताव तैयार कर आर्थिक सहायता के लिए प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह को ज्ञापन सौंपा जाएगा.
मंत्रिमंडल सचिवालय समन्वय विभाग के प्रधान सचिव अफजल अमानुल्ला ने बाद में पत्रकारों को बताया कि मंत्रिमंडल ने कुल 28 जिलों गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, अरवल, नवादा, पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, कैमूर, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, बेगूसराय, भागलपुर, बांका, सीवान, सारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, शिवहर, वैशाली, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, समस्तीपुर एवं दरभंगा को सूखाग्रस्त घोषित करने का निर्णय लिया.
उन्होंने बताया कि प्रदेश के शेष 10 जिलों की निरंतर समीक्षा की जायेगी और आवश्यकतानुसार अन्य जिलों को भी सूखाग्रस्त घोषित करने के बारे में निर्णय लिया जायेगा. अमानुल्लाह ने बताया कि प्रदेश में मानसून की दयनीय स्थिति के कारण खरीफ फसल खासतौर से धान की रोपनी लक्ष्य से बहुत कम हुयी है जिसके फलस्वरुप उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पडना निश्चित है. उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में रोपनी की गयी है वहां भी अल्प एवं अनियमित वर्षा के कारण उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना निश्चित है.{mospagebreak}
अफजल अमानुल्लाह ने बताया कि कृषि विभाग से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार राज्य में वर्षा की स्थिति अत्यन्त खराब है. एक जून से 31 जुलाई तक राज्य में औसतन 508.5 मिमी वर्षा के विरुद्ध मात्र 392.8 मिमी बारिश हुयी, जो औसत से 23 प्रतिशत कम है. अमानुल्ला ने कहा कि अल्प वर्षा के कारण राज्य के भू एवं सतही जलस्रोत कई भागों में सूख रहे हैं एवं जलाशयों तथा भूजल स्तर में काफी कमी आयी है. कृषि एवं जल संसाधनों के अतिरिक्त सूखे का प्रभाव पशु संसाधन एवं मानव रोजगार पर भी पडने की आशंका है.
इस अवसर पर आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव व्यास जी ने बताया कि सूखाग्रस्त घोषित जिलों में सुखाड से निपटने के लिए आपदा राहत निधि (सीआरएफ), राज्य आपदा रिस्पांस कोष (एसडीआरएफ) तथा राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक निधि (एनसीसीएफ) अथवा राष्ट्रीय आपदा रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) से दी जाने वाली सहायता के प्रावधान तत्काल प्रभाव से लागू होंगे.{mospagebreak}उन्होंने कहा कि अधिसूचित जिलों में किसानों से सहकारिता ऋण, राजस्व लगान एवं सेस, पटवन शुल्क, विद्युत शुल्क जो सीधे कृषि से संबंधित हों की वसूली वित्तीय वर्ष 2010-11 के लिये स्थगित रहेगी. व्यास जी ने कहा कि प्रभावित जिलों में फसल को बचाने, वैकल्पिक कृषि कार्य की व्यवस्था करने, रोजगार के लिये साधन उपलब्ध कराने, पशु संसाधनों का सही रखरखाव करने इत्यादि के लिये आवश्यकतानुसार सहायता कार्य चलाने आदि की व्यवस्था की जायेगी.