लोकसभा चुनाव में कोई कोर-कसर न रहे, इसके लिए एनडीए ने अभी से सीटों का बंटवारा कर लिया है. बताया जा रहा कि बिहार में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला एनडीए ने तैयार कर लिया है.
40 सीटों वाले बिहार में बीजेपी के पास फिलहाल 22 सांसद हैं. लेकिन गठबंधन धर्म निभाने के लिए बीजेपी 20 सीटों पर ही चुनाव लड़ने को राजी हो गई है. राज्य में चूंकि अभी नीतीश कुमार की सरकार है, लिहाजा 2 सांसद होने के बावजूद बंटवारे में जेडीयू के खाते में 20 सीटें आईं हैं. जेडीयू को 12 सीटों के अलावा एक सीट झारखंड या फिर यूपी में भी बीजेपी दे सकती है.
वहीं एनडीए के सहयोगी राम विलास पासवान की पार्टी एलजेपी की बात करें तो उनके पास फिलहाल 6 सांसद हैं. लेकिन बंटवारे में एलजेपी को नुकसान होता दिख रहा है. बंटवारे के बाद एलजेपी के खाते में 5 सीटें ही आ सकती हैं. गौरतलब है कि 2014 के चुनाव में एलजेपी ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था.
वहीं आरएलएसपी की बात करें तो अगर उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए से नाता नहीं तोड़ा तो उनके खाते में 2 सीटें आ सकती हैं. आरएलएसपी से निलंबित सांसद अरुण कुमार के एनडीए से चुनाव लड़ने की संभावना है.
वहीं बिहार सरकार में मंत्री नंद किशोर यादव ने कहा कि मुझे इस फ़ार्मूले की जानकारी नहीं हैं. बड़े नेता बैठेंगे तो बात हो जाएगी. बिहार में मिलकर सरकार चला रहे हैं. सीटों को लेकर भी कोई दिक्कत नहीं होगी. नंद किशोर ने कहा कि अध्यक्ष अमित शाह जी ने नीतीश जी से मुलाकात की थी. उस दौरान दोनों नेताओं में बात हुई थी. कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा कि पूरा एनडीए मिलकर चुनाव लड़ेगा. उन्होंने दावा किया कि हम 2014 से ज़्यादा सीटें बिहार में जीतेंगे.
उपेंद्र कुशवाहा की खीर पर उन्होंने कहा कि वे ये भी कह रहे हैं कि नरेंद्र मोदी को एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं. उपेंद्र खीर एनडीए में भी बना सकते हैं और खा भी सकते हैं.
इससे पहले खबरें थीं कि जेडीयू बिहार में 25 सीटों की मांग कर रही है. जेडीयू का कहना था कि न तो ये साल 2014 है और ना ही जेडीयू पहले जैसी है. मतलब साफ था कि अब राज्य में जेडीयू की सरकार है तो अब उनका दावा भी ज्यादा सीटों पर है. लेकिन इन सबके बीच सुलह का फॉर्मूला निकलने का दावा किया जा रहा है.
वहीं तेजस्वी यादव भी राज्य में जेडीयू-बीजेपी के गठबंधन को किसी भी कीमत पर हराने की कोशिश कर रहे हैं. हाल ही में आरएलएसपी के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि यदुवंशियों का दूध अच्छा होता है. ऐसे में अगर यदुवंशियों का दूध और कुशवंशियों का चावल मिल जाए तो अच्छी 'खीर' बनेगी. उनके इस बयान के फौरन बाद तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट कर उपेंद्र कुशवाहा का स्वागत किया था.