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जनसंख्या विस्फोट: देश के मुकाबले बिहार में 3 गुना धीमी है प्रजनन रोकने की रफ्तार

नई शताब्दी में जहां पूरे देश में प्रजनन दर करीब 23 फीसदी घटी है वहीं बिहार में जनसंख्या विस्फोट को रोकने की कोशिशें नाकाम साबित होती दिख रही हैं और यहां प्रजनन दरों में मामूली गिरावट दर्ज की गई है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर- kumbh.gov.in
प्रतीकात्मक तस्वीर- kumbh.gov.in

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भारत में जनसंख्या विस्फोट एक लंबे वक्त से चला आ रहा मसला है, ये एक बार फिर चर्चा में तब आया जब प्रधानमंत्री ने लाल किले से 15 अगस्त के भाषण में इसका जिक्र किया. उन्होंने कहा ‘जिन्होंने छोटे परिवार रखे हैं उनका सम्मान होना चाहिए और उनकी ये कोशिश देशभक्ति है.’ जहां 130 करोड़ जनसंख्या वाले देश में आबादी घटाने की कोशिशें जारी हैं वहीं कई राज्य ऐसे भी हैं जो ऐसा करने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं.

नई शताब्दी में जहां पूरे देश में प्रजनन दर करीब 23 फीसदी घटी है वहीं बिहार में जनसंख्या विस्फोट को रोकने की कोशिशें नाकाम साबित होती दिख रही हैं और यहां प्रजनन दरों में मामूली गिरावट दर्ज की गई है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों के विश्लेषण से इंडिया टुडे डाटा इंटेलिजेंस यूनिट को पता चला कि पूरे देश में बिहार में प्रजनन दर सबसे ज्यादा है, यानी बिहार की एक महिला दूसरे राज्यों की तुलना में औसतन ज्यादा बच्चों को जन्म देती हैं.

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आसान शब्दों में कुल प्रजनन दर होने वाले बच्चों की संख्या का पता लगाती है. बिहार की महिलाओं (15-49 साल) का प्रजजन दर भारत में सबसे ज्यादा 3.4 है. वहीं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 के आंकड़ों के मुताबिक पूरे देश के लिए ये आंकड़ा 2.18 का है.

बिहार के बाद मेघालय (3.04), यूपी 2.74, नागालैंड 2.74, मणिपुर 2.61 और झारखंड 2.55 का नंबर आता है, बाकी राज्यों में कुल प्रजनन दर 2.5 से नीचे है.

pop_082719084014.jpgबिहार में जनसंख्या के आंकड़े

जनसंख्या विस्फोट को रोकने में फेल

1998-99 और 2015-16 के बीच पूरे देश में 15 से 49 साल की महिलाओं की कुल प्रजजन दर 23% घटी, वहीं बिहार में इसी दौरान ये आंकड़ा महज 7.8 फीसदी का रहा. साफ दिखता है कि पूरे देश की तुलना में बिहार में प्रजजन दर तीन गुनी धीमी गति से घट रही है.

1998-99 में बिहार में प्रजनन दर 3.7 थी जो 2005-06 में बढ़कर 4 तक पहुंची और 2015-16 में ये 3.41 तक पहुंची है. झारखंड इकलौता बड़ा राज्य है जहां प्रजजन दर बिहार से भी धीमी गति से घटी है. 1998-99 से 2015-16 तक झारखण्ड में सिर्फ ये सिर्फ 7.6 %  घटी.

आखिर रोक लगाने में नाकामी क्यों?

इससे पहले DiU ने मुसलमानों की बेहतर परिवार नियोजन पर एक खबर की थी जिसमें इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉपुलेशन स्ट्डिज के प्रोफेसर संजय कुमार ने प्रजनन दर में कमी के लिए तीन कारकों का जिक्र किया था, महिलाओं की शादी की उम्र में बदलाव. गर्भपात और तीसरा गर्भनिरोधक का इस्तेमाल. जब हमने बिहार में इनके आंकड़े देखे तो पता चला कि राज्य की हालत खराब है

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शादी की उम्र

2015-16 में 42 फीसदी ऐसी बच्चियां थी, जिनकी शादी 18 साल की कानूनी उम्र से पहले कर दी गई थी. इस कुरीति के लिए पश्चिम बंगाल 44 फीसदी के साथ पहले पायदान पर, बिहार का नंबर दूसरा है. 20-49 साल की महिलाओं में सर्वे से पता चला कि बिहार में शादी की औसत उम्र 17.5 साल है. 2015-16 ( उम्र 20-24 ) में सर्वे में शामिल 42 फीसदी महिलाओं की शादी 18 साल से पहले हो गई थी. जबकि 2005-06 में ये संख्या 69 फीसदी थी. महिलाओं की थोड़ी देर से शादी के मामले में यूपी ने बेहतर प्रदर्शन किया है.

2005-06 में जहां 52 फीसदी बच्चियों की शादी 18 से पहले कर दी जाती थी वहीं 2015-16 में ये आंकड़ा घटकर 22.5 फीसदी पर पहुंच गया है.

परिवार नियोजन और गर्भनिरोधक

प्रजनन दर को घटाने में दूसरा सबसे बड़ा कारक है गर्भनिरोधक का इस्तेमाल. बिहार में 10फीसदी ऐसी महिलाएं थी जिन्होंने कभी परिवार नियोजन के लिए गर्भ निरोधक का इस्तेमाल नहीं किया. सर्वे के मुताबिक 15-49 साल की शादीशुदा महिलाओं में 76 फीसदी महिलाओं ने कभी किसी तरह के परिवार नियोजन के तरीके का इस्तेमाल नहीं किया.

परिवार नियोजन के लिए महिला नसबंदी सबसे प्रचलित तरीका है और करीब 23.5 फीसदी महिलाओं ने ये करवाया था. सर्वे के मुताबिक हद तो ये है कि पूरे राज्य में सिर्फ 1 फीसदी लोग की कंडोम का इस्तेमाल करते हैं.

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कुल मिलाकर ट्रेंड ये बताते हैं कि पूरे देश में परिवार नियोजन अपनाने वालों में 6.4 फीसदी की गिरावट हुई है. सिर्फ 8 ऐसे राज्य हैं जो परिवार नियोजन को लेकर संजीदा है.ये राज्य हैं पंजाब 12.5 % ,राजस्थान 12.5 %, ओडिशा 7.2%, झारखंड 4.6%, छत्तीसगढ़ 4.5 %, यूपी 1.9%, आंध्र प्रदेश 1.9% और हरियाणा 0.82%.

वहीं 22 राज्यों में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है जो किसी भी तरह के परिवार नियोजन के उपाय नहीं अपनाते हैं. राज्यवार गर्भपात के आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.

कौन लोग परिवार नियोजन नहीं अपनाना चाहते?

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक औसतन वो महिलाएं जो शहरों में रहती हैं, पढ़ी लिखी हैं और उनके परिवारों की कमाई ज्यादा है वो ही परिवार नियोजन के उपाय करती हैं. संयोग से बिहार में ये सभी कारक कम हैं.

population-index_082719083929.jpgभारत की घटती जनसंख्या दर

आरबीआई के आंकड़े कहते हैं ( गरीबी पर तेंदुलकर कमेटी 2011-12) कि बिहार की 33.71 फीसदी लोग गरीबी रेखा के नीचे है. बिहार की प्रति व्यक्ति आय भी निम्नतम स्तर पर है. राज्य की प्रति व्यक्ति आय 25950 रु है जो देश में सबसे कम है.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण4 ( 2015-16)  के मुताबिक सिर्फ 22.8 फीसदी महिलाओं ने 10 साल तक स्कूल की पढ़ाई की है. करीब करीब आधी महिला आबादी 48% कभी स्कूल गईं ही नहीं. 2011 के जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि बिहार कि 12 फीसदी जनता ग्रामीण इलाकों में रहती है.

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जहां पूरे देश में परिवार को छोटा करने और बच्चों को पढ़ाने पर जोर है. बिहार को अभी इसमें बहुत कुछ करने की जरूरत है. प्रजनन दर में कमी की घटती दर, अर्थव्यवस्था की बुरी हालत के चलते देश के नीति निधार्रकों को बिहार को सुधारने में काफी मशक्कत करनी होगी.

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