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बिहार में भी होगा यूपी का प्रयोग! महागठबंधन में BSP को लाने की तैयारी

लोकसभा चुनाव के लिए आरजेडी राज्य में बहुजन समाज पार्टी और सीपीआई-एमएल को जोड़ने पर विचार कर रही है ताकि दलित और गैर यादव ओबीसी वोट पार्टी की तरफ आकर्ष‍ित किए जा सकें.

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बीएसपी से गठबंधन पर विचार कर रही आरजेडी
बीएसपी से गठबंधन पर विचार कर रही आरजेडी

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जेडीयू के एनडीए से अलग होने की कोई संभावना न देख, लालू प्रसाद यादव के राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अब बिहार में एक नए महागठबंधन की संभावना तलाशनी शुरू कर दी है. लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी राज्य में बहुजन समाज पार्टी और सीपीआई-एमएल को जोड़ने पर विचार कर रही है ताकि दलित और गैर यादव ओबीसी वोट पार्टी की तरफ आकर्ष‍ित किए जा सकें.

गौरतलब है कि लालू ने अगस्त 2017 में पटना में आयोजित 'बीजेपी भगाओ, देश बचाओ' रैली के द्वारा गैर एनडीए दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश की थी. लेकिन तब बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इस आमंत्रण को ठुकराते हुए कहा था कि जब तक 2019 के लिए सीट साझेदारी और गठबंधन का प्रारूप तय नहीं हो जाता, उनकी पार्टी किसी के साथ मंच साझा नहीं करेगी.

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हाल में मायावती ने इस बात पर जोर दिया था कि बीएसपी किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन तभी बनाएगी, जब उसे 'सम्मानित संख्या' में सीटें दी जाएं, अन्यथा वह अकेले लड़ेगी.

बसपा के साथ गठजोड़ के द्वारा यूपी के उपचुनावों में बीजेपी को हराने के बाद सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा था कि वह आम चुनाव में गठबंधन को बनाए रखने के लिए किसी भी बलिदान को तैयार हैं. हालांकि अभी बिहार में किसी तरह के गठबंधन की पुष्ट‍ि नहीं हुई है, जिसकी वजह से बीएसपी के स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं ने जमीनी स्तर पर लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है.

कर्नाटक में मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह में तमाम विपक्षी नेताओें के साथ मायावती के भी रहने से उत्साहित आरजेडी के एक नेता उम्मीद जताते हैं कि बिहार में बसपा के साथ सीट साझेदारी का समझौता हो जाएगा. उनके मुताबिक अगर यह गठबंधन बना तो यूपी-बिहार के बॉर्डर की कम से कम 6 सीटों पर इसका अच्छा असर होगा और बाकी जगहों पर भी वोट बढ़ेंगे.

गौरतलब है कि बिहार में 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी को 7.65 लाख वोट मिले थे, जो 2015 के विधानसभा चुनाव में बढ़कर 7.88 लाख तक पहुंच गए. हालांकि उसे लोकसभा या विधानसभा में कोई सीट नहीं मिल पाई है.

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इसके अलावा आरजेडी माकपा (CPI-ML) को भी गठबंधन से जोड़ने पर विचार कर रही है. यह पार्टी राज्य के अति पिछड़ों और दलित समुदाय में कुछ असर रखती है. पार्टी को जीतन राम मांझी के हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का पहले ही समर्थन मिल चुका है जो दलितों में कुछ जनाधार रखती है.

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