बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बाबा साहब भीव राव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय मे नकल की गंगा बह रही है. छात्र धड़ल्ले से मोबाइल, कैल्कुलेटर और ब्लूटूथ का इस्तेमाल कर रहे है.
उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है. इस विश्वविद्यालय में पिछले 2016 से कोई परीक्षा नहीं ली गई है. अचानक विश्वविद्यालय की नींद खुलती है तो पता चलता है कि फर्स्ट इयर के छात्र बिना परीक्षा दिए सेकेंड इयर में पहुंच गए और सेकेंड इयर के छात्र थर्ड इयर में.
अब जाकर विश्विद्यालय ने परीक्षा लेनी शुरू कर दी है. नतीजा सबके सामने है. बिहार विश्वविद्यालय मे ड्रिग्री कोर्स के सेकेंड ईयर प्रैक्टिकल की परीक्षा चल रही है. मुजफ्फरपुर के लंगट सिंह महाविद्यालय और श्यामनंदन सहाय महाविद्यालय परीक्षा केंद्र से जो तस्वीरें प्राप्त हुई हैं वह काफी चौंकाने वाली हैं.
परीक्षार्थी परीक्षा मे खुलेआम मोबाइल और कैलकुलेटर का उपयोग कर रहे हैं. विश्विद्यालय का सेशन तीन साल देरी से चल रहा है. इसमें 5 लाख छात्रों का भविष्य शामिल है.
आमतौर पर प्रैक्टिकल की परीक्षा थ्योरी पेपर के बाद ली जाती है लेकिन विश्वविद्यालय छात्रों के दबाव की वजह से यह उल्टा काम कर रहा है.
पिछले साल कोई भी परीक्षा नहीं ले पाने के कारण विश्वविद्यालय की काफी बदनामी हुई थी. लेकिन 2018 मे खुलेआम नकल की गंगोत्री मे छात्र डुबकी लगा रहे हैं.
बिहार विश्वविद्यालय की यह तस्वीरें बिहार के बदहाल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी हैं. लेकिन अधिकारी मौन हैं, सरकार मौन है और बोले भी क्या जब विश्विद्यालय के कुलपति अमरेन्द्र नारायण यादव पर भ्रष्ट्राचार को लेकर निगरानी की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट राजभवन को सौंपी जा रही है. वह पिछले 15 महीनों से पद पर कायम हैं. जब कुलपति ही भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे हैं तो छात्र भ्रष्टाचार क्यों न करें.