लोकसभा में सोमवार को चिट फंड (संशोधन) विधेयक, 2018 पेश किया गया. इसके जरिए 1982 के चिट फंड अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया गया. इसमें चिट के लिए मैत्री फंड का भी उपयोग करने का प्रावधान है.
निचले सदन में वित्त राज्य मंत्री शिवप्रताप शुक्ला ने इस विधेयक को पेश किया. इस दौरान विभिन्न मुद्दों पर टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्नाद्रमुक के सदस्यों के भारी हंगामे के बीच ही विधेयक पेश किया, जो अपने-अपने मुद्दों को लेकर वेल में आकर नारेबाजी कर रहे थे.
विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि चिट कारोबार का विकास करने और निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिहाज से संस्थागत और विधिक ढांचे में सुधार की सलाहकार समूह की सिफारिशों और पंजीकृत चिट फंड क्षेत्र को मजबूत बनाना है.
इसके अलावा चिट कारोबार को सरल और कारगर बनाने के लिए विधायी और प्रशासनिक प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए वित्त मामलों की संसदीय स्थाई समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए चिट फंड संशोधन विधेयक, 2018 पेश किया गया है.
विधेयक में नयी जोड़ी गयी धारा में कहा गया है, ‘कोई भी व्यक्ति चिट कारोबार तब तक नहीं करेगा, जब तक कि वह अपने नाम के भाग के रूप में चिट, चिट फंड, चिट्टी, कुरी या मैत्री फंड शब्दों में से किसी शब्द का प्रयोग नहीं करता है और चिट कारोबार करने वाले व्यक्ति से भिन्न कोई भी व्यक्ति अपने नाम के भाग के रूप में ऐसे किसी शब्द का प्रयोग नहीं करेगा.’
इसमें प्रधान के कमीशन की सीमा को 5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत करने का प्रावधान है. चिट फंड अधिनियम, 1982 को चिट फंडों का विनियमन करने का उपबंध करने के लिए लागू किया गया था, जो भारत में देशी कारोबार है और जिसने निम्न आय वाले परिवारों की वित्तीय आवश्यकताओं की परंपरागत रूप से पूर्ति की है.