गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) के फरार चल रहे नेता बिमल गुरंग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया है कि वे ‘अवैध बांग्लादेशियों’ को दार्जिलिंग के पर्वतीय क्षेत्र में बसाने की योजना बना रही हैं. गुरंग ने आधिकारिक बयान में दावा किया, ‘मुझे इस तथ्य से अवगत कराया गया है कि राज्य सरकार गुपचुप ढंग से हमारे पहाड़ों पर जमीन का नाप ले रही है. अगर ऐसा अवैध बांग्लादेशियों को बसाने के लिए किया जा रहा है जो असम से हटाए गए हैं तो ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा होगा. दार्जिलिंग तराई और डुआर्स का क्षेत्र भारत की मुख्य भूमि से पूर्वोत्तर को जोड़ता है. ये क्षेत्र पूरे दक्षिण एशिया में बहुत संवेदनशील है. संभव है कि देश विरोधी, भारत विरोधी ताकतें यहां गड़बड़ी के लिए सिर उठाएं.’
गुरंग ने दावा किया, ‘मैं राज्य की किसी राजनीतिक शक्ति को हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने की इजाजत नहीं दूंगा. कोई भी उत्तरी बंगाल की मूल आबादी की अनदेखी कर अवैध बांग्लादेशियों को यहां बसाने की उम्मीद में सपना ना देखे, जिन्हें असम से भगा दिया गया है. अगर वे ऐसी कोशिश करेंगे तो सारे राजवंशी, कमाटापुरी, आदिवासी, मेचे और डुआर्स के सारे गोरखा, पहाड़ों के सारे गोरखा इसके खिलाफ एक सुर में आवाज उठाएंगे.’
गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नेता ने केंद्र में मोदी सरकार से भी आग्रह किया कि वो 25 मार्च 1971 से पहले असम में रहने वाले लोगों के सभी वास्तविक मामलों पर विचार करें और पूरी सावधानी और संवेदना के साथ नागरिकों की लिस्ट को संशोधित करें. गुरंग ने कहा, ‘हम खुद भी अपनी पहचान के लिए यहां संघर्ष कर रहे हैं. साथ असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (NRC) से उत्पन्न स्थिति की वजह से उत्पन्न हो रही स्थिति को लेकर चिंतित हैं.’
गुरंग ने कहा, हमें डर है कि इस तरह के कदम से (दूसरों को यहां बसाने से) उत्तर बंगाल के मूल लोग यानि गोरखा-कमाटापुरी और आदिवासी हाशिए पर चले जाएंगे. हम सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ऐसी स्थिति ना बनने पाए. हम गोरखा, आदिवासी, कमाटापुरी, मेछे और अन्य स्थानीय समुदायों को, नामासुद्रा और माटुआ समुदायों के साथ, कोई अन्याय नहीं होने देंगे.’
गुरंग पिछले साल से ही फरार हैं. गुरंग के खिलाफ दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर हिंसक आंदोलन चलाने की वजह से कड़े UAPA कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.