चंडीगढ़ स्थित सुखना झील में एक मरे हुए हंस की मेडिकल जांच में बर्ड फ्लू के वायरस पाये जाने की पुष्टि के बाद स्थानीय प्रशासन ने झील के अन्य 90 बतखों को मार दिया है.
एवियन फ्लू की रिपोर्ट के बाद से ही सुखना झील की घेराबंदी कर एहतियातन लोगों के प्रवेश, बोटिंग और टूरिस्ट गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है. इलाके में मास्क लगाए पुलिस कर्मियों को भी तैनात किया गया है. झील के आसपास के क्षेत्र में हरियाणा और पंजाब राज भवनों के अलावा शीर्ष नौकरशाहों के आवास स्थित है. साथ ही पंजाब तथा हरियाणा में अलर्ट भी घोषित कर दिया गया है. चंडीगढ़ पशुपालन विभाग के निदेशक प्रिंस धवन ने बताया कि झील के मध्य में द्वीप पर इन बतखों को मार डाला गया. शहर एवं उसके आसपास बर्डफ्लू फैलने से रोकने के लिए एहतियात के तौर पर बतख मारे गए.
धवन ने बताया कि बतखों को मारने के दौरान उचित रोगाणुनाशन प्रक्रिया अपनायी गई. अगले आदेश तक इस झील में लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गयी है तथा पास के लेक क्लब को भी फिलहाल बंद कर दिया गया.
इसी बीच सरकारी केंद्रीय कुक्कुट विकास संगठन (सीपीडीओ) ने कहा कि उसने एहतियात के तौर पर अंडों और पक्षियों की आपूर्ति बंद कर दी है. सीपीडीओ के निदेशक (उत्तरी क्षेत्र) के रवि कुमार ने कहा, ‘हमने बर्डफ्लू के डर से सभी मुर्गों और अंडों की बिक्री रोक दी है.’ उन्होंने बताया कि आपूर्ति पर अगले 30 दिनों तक रोक रहेगी.
सीपीडीओ उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान समेत नौ राज्यों में सरकारी संगठनों को अंडे की आपूर्ति करता है और आम लोगों को भी मुर्गियां एवं अंडे बेचता है.
इससे पहले एवियन फ्लू नियंत्रण उपाय से जुड़े इस केंद्र शासित प्रदेश के नोडल अधिकारी धवन एवं विभाग के अन्य अधिकारियों ने चंडीगढ़ प्रशासन के साथ बैठक की जहां इन पक्षियों को मारने का निर्णय लिया गया. सुखना झील में हाल ही 35 हंस मर गए थे जिनमें से एक के एवियन इंफ्लुएंजा से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई.