संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का शव उसके परिजनों को सौंपे जाने की मांग पर मंगलवार को जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में हंगामा हुआ. अफजल को नौ फरवरी को दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई थी. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने सोमवार को अफजल का शव उसके परिजनों को सौंपे जाने से इंकार कर दिया था.
जम्मू एवं कश्मीर विधानसभा में अफजल का शव उसके परिजनों को सौंपने की मांग सोमवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने उठाई. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जम्मू एवं कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) ने पीडीपी के खिलाफ आवाज उठाई, जिसके बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया.
हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष मुबारक गुल को दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. तीसरी बार सदन की कार्यवाही शुरू होने पर राज्य के कानून मंत्री मीर सैफ उल्लाह ने अफजल को 'अफजल गुरु साहिब' कह दिया, जिसके बाद भाजपा और जेकेएनपीपी के सदस्य अपनी सीट से खड़े होकर नारेबाजी करने लगे.
हंगामे के कारण विधानसभा अध्यक्ष ने एक बार फिर सदन की कार्यवाही दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी. हंगामे के दौरान दोनों पार्टी के विधायक कुर्सियां और माइक भी फेंकने लगे थे.