टीडीपी के बाद अब गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग (NDA) सरकार को करारा झटका दिया है. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) ने राजग (NDA) से अपना नाता तोड़ लिया है. GJM ने बीजेपी से नाराजगी के चलते NDA से अलग होने का फैसला किया है.
GJM ने बीजेपी पर गोरखाओं का विश्वास तोड़ने का आरोप लगाया है. GJM के ऑर्गेनाइजिंग चीफ एलएम लामा ने कहा कि अब उनकी पार्टी का बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से कोई रिश्ता नहीं हैं. GJM पश्चिम बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष के हालिया बयान से बेहद खफा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी पार्टी का GJM के साथ सिर्फ चुनावी गठबंधन हैं.
एलएम लामा ने कहा कि पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष के बयान से बीजेपी नेताओं के उस दावे की पोल खुल गई है, जिसमें वो कहते हैं कि GJM हमारी दोस्त है और NDA का घटक दल है. उन्होंने यह भी कहा कि घोष की टिप्पणी से पीएम मोदी के उस दावे की भी हकीकत सामने आ गई, जिसमें उन्होंने कहा था कि गोरखाओं का सपना ही उनका सपना है.
लामा ने कहा कि पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष के बयान से यह साफ हो गया है कि गोरखाओं को लेकर बीजेपी न तो गंभीर है और न ही उनके प्रति सहानुभूति रखती है. उन्होंने कहा कि यह सभी जानते हैं कि GJM ने साल 2009 और साल 2014 में दार्जलिंग लोकसभा सीट को बीजेपी को गिफ्ट किया था.
उन्होंने कहा कि GJM ने लोकसभा चुनाव के दौरान दार्जलिंग सीट पर बीजेपी के प्रत्याशी जसवंत सिंह का समर्थन किया था. हालांकि बीजेपी के प्रदर्शन से GJM संतुष्ट नहीं थी. इसके बावजूद बिमल गुरंग के नेतृत्व में GJM ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी एसएस अहलुवालिया का समर्थन किया.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के लिए दार्जलिंग राजनीतिक गेटवे है और यह सिर्फ GJM की बदौलत संभव हुआ है. कई सालों से लोग उम्मीद कर रहे हैं कि उनके मुद्दों को सुलझाया जाएगा, लेकिन बीजेपी ने लोगों को सिर्फ धोखा दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी की वजह से आज दर्जलिंग की पहाड़ियां अविश्वास और राजनीति उथलपुथल के माहौल में है.