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लोया केस पर SC के फैसले के बाद BJP का वार- राहुल का सिर शर्म से झुक जाना चाहिए

पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी को ना सिर्फ माफी मांगनी चाहिए बल्कि उनका सिर शर्म से झुक जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.

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संबित पात्रा का राहुल पर वार
संबित पात्रा का राहुल पर वार

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जज लोया मौत केस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजनीतिक टिप्पणियां आनी शुरू हो गई हैं. भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस पर हमलावर है. गुरुवार को बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कहा कि इस फैसले भारत की राजनीति में न्यायपालिका को सड़क पर लाने का नाम कांग्रेस ने किया है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इस मुद्दे पर माफी मांगनी चाहिए.

पात्रा ने कहा कि राहुल गांधी को ना सिर्फ माफी मांगनी चाहिए बल्कि उनका सिर शर्म से झुक जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.

पात्रा बोले कि इस याचिका के पीछे कांग्रेस का अदृश्य हाथ था. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि याचिका के पीछे राजनीतिक मंशा है. उन्होंने कहा कि 12 जनवरी को कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. उसके बाद कपिल सिब्बल, रणदीप सुरजेवाला ने भी इस पर अपनी बातें कही थीं.

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संबित पात्रा ने कहा कि जिस तरह से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बदनाम करने की साजिश की गई, उसपर कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस कांग्रेस ने देश में आपातकाल लागू किया, वह गलत आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी पोस्टमार्टम रिपोर्ट, जज रिपोर्ट, पुलिस जांच, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर यकीन नहीं करते हैं. राहुल गांधी बस उन लोगों पर विश्वास करते हैं जो भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाते हैं.

क्या है कोर्ट का फैसला?

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की स्वतंत्र जांच कराने की अपील को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि मामले का कोई आधार नहीं है, इसलिए इसमें जांच नहीं होगी. तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि चार जजों के बयान पर संदेह का कोई कारण नहीं है, उनपर संदेह करना संस्थान पर संदेह करने जैसा होगा. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस मामले के लिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है.  

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन वकीलों ने ये याचिका डाली है, उन्होंने इसके जरिए न्यायपालिका को बदनाम करने की कोशिश की है. ये अदालत की आपराधिक अवमानना करने जैसा है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि ये याचिका राजनीतिक फायदे और न्यायपालिका की प्रक्रिया पर सवाल उठाने के लिए किया गया.

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