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महाराष्ट्र में ओवैसी-प्रकाश अम्बेडकर के गठबंधन से बीजेपी को होगा फायदा!

महाराष्ट्र में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM, दलित नेता प्रकाश अम्बेडकर की बहुजन रिपब्लिकन पार्टी के साथ गठजोड़ करने जा रही है. इसे लेकर कांग्रेस और एनसीपी में चिंता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे बीजेपी को फायदा होगा.

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महाराष्ट्र में ओवैसी की पार्टी प्रकाश अम्बेडर की पार्टी से हाथ मिलाने जा रही है
महाराष्ट्र में ओवैसी की पार्टी प्रकाश अम्बेडर की पार्टी से हाथ मिलाने जा रही है

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महाराष्ट्र की राजनीति में बन रहे एक 'तीसरे मोर्चे' ने राज्य से लेकर केंद्र तक सबका ध्यान आकर्ष‍ित किया है. बहुजन रिपब्लिकन पार्टी-बहुजन महासंघ के नेता प्रकाश अम्बेडकर, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के साथ गठजोड़ करने जा रहे हैं. इस गठजोड़ की औपचारिक घोषणा 2 अक्टूबर को की जाएगी. कांग्रेस-एनसीपी जैसे दलों का कहना है कि इससे बीजेपी को फायदा होगा.

इसमें कोई दो राय नहीं कि यह गठजोड़ अनुसूचित जाति (SC) और मुसलमान वोटों को एकजुट करने की नीयत से किया जा रहा है, जिसे कि जबर्दस्त गठजोड़ माना जाता है.

महाराष्ट्र में 17 फीसदी एससी और 13 फीसदी मुस्लिम जनसंख्या है. हालांकि,  महाराष्ट्र में उस तरह का मुस्लिम-एससी गठजोड़ नहीं हो सकता, जैसा कि यूपी या बिहार में होता है. यहां का समीकरण अलग है और राज्य के प्रगतिशील आंदोलनों से मुस्लिम समाज गहराई से जुड़ा रहा है.

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कागज पर मजबूत गठबंधन

इस गठजोड़ की औपचारिक घोषणा 2 अक्टूबर को मराठवाड़ा इलाके के औरंगाबाद में की जाएगी. औरंगाबाद, बीड, नांदेड़ और उस्मानाबाद में बड़ी संख्या में मुसलमान रहते हैं. इसके अलावा परभनी, लातूर, जालना और हिंगोली जैसे जिलों में भी मुसलमानों का अच्छा असर है. अनुसूचित जाति के वोटर्स की प्रभावी भूमिका औरंगाबाद, उस्मानाबाद, बीड, लातूर और नांदेड में है. तो कागजों पर तो यह गठजोड़ मजबूत दिख रहा है.

मराठवाड़ा इलाका AIMIM की राजनीति के लिए काफी उर्वर रहा है. पूरे महाराष्ट्र की बात करें तो स्थानीय निकायों में AIMIM के करीब 150 चुने हुए प्रतिनिधि हैं.

SC/ST एक्ट और भीमा कोरेगांव हिंसा के खिलाफ हुए प्रदर्शनों से प्रकाश अम्बेडकर प्रदेश की राजनीति में उभर गए हैं. हालांकि AIMIM की तरह उनके पार्टी की पूरे राज्य में उपस्थिति नहीं है और यह विदर्भ इलाके के अकोला जिले के आसपास ही केंद्रित है.

प्रकाश अम्बेडकर दो चीजों पर ही भरोसा कर सकते हैं, वंशवाद (वह डॉ. भीमराव अम्बेडकर के पोते हैं) और अनुसूचित जातियों में बनी नाराजगी. राज्य के एक और प्रमुख दलित नेता रामदास अठावले बीजेपी-एनडीए की सरकार में शामिल हैं.

वोट काटने वाली मशीन!

इस गठजोड़ से बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस और एनसीपी जैसे दलों की बेचैनी बढ़ गई है, क्योंकि उनका वोटों का अच्छा आधार भी मुस्लिम और दलित समुदाय में है. दोनों दलों ने तत्काल इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इस नए गठजोड़ को 'बीजेपी की बी टीम' बताया है. इसलिए इस बात की भी संभावना कम लग रही है कि कांग्रेस और एनसीपी इनके साथ गठबंधन में शामिल हों.

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राजनीतिक जानकार भी इस गठजोड़ को 'वोट काटने वाली मशीन' मान रहे हैं. जाहिर है कि इनके वोट कटने का फायदा राज्य में बीजेपी या शिवसेना को मिलेगा.

हालांकि AIMIM के औरंगाबाद से विधायक इम्तियाज जलील इन चर्चाओं को खारिज करते हैं. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस और एनसीपी राज्य के मुसलमानों के लिए कुछ करने में लगातार विफल रही हैं. हम इन दलों की भी उतनी ही मुखालफत करते रहे हैं, जितनी की बीजेपी और शिवसेना की.' 

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