मोदी सरकार द्वारा राजनीतिक दलों को मिलने वाले विदेशी चंदे की जांच रोकने के लिए लोकसभा में लाए गए कानून संशोधन के खिलाफ अब लेफ्ट पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है. सीपीएम नेता प्रकाश करात ने 'आजतक' से बातचीत में कहा कि उनकी पार्टी इस कानून का विरोध करेगी. केंद्र सरकार ने लोकसभा में उस कानून में संशोधन पेश कर शोर- शराबे के बीच उसे पारित करवा लिया, जिससे अब 1976 से लेकर अब तक राजनीतिक दलों को मिलने वाले किसी भी विदेशी चंदे की जांच नहीं की जा सकेगी.
फाइनेंस बिल के जरिए लाए गए इस कानून को लोकसभा की मंजूरी मिल चुकी है. सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि इतना महत्वपूर्ण कानून लोकसभा में बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया गया. प्रकाश करात ने आजतक से बातचीत में कहा कि संसद में हंगामे के बीच इसको फाइनेंस बिल बना कर पास करवा लिया गया.
उन्होंने बताया कि साल 2016 में भी यही कानून लाए थे, लेकिन तब हाईकोर्ट ने कांग्रेस और बीजेपी को विदेशी चंदा लेने के मामले में दोषी पाया गया था और उसी से बचने के लिए अब मोदी सरकार इस बिल को दोबारा 1976 से लागू करवाने के लिए लेकर आई है.
इस बिल के खिलाफ सीताराम येचुरी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. प्रकाश करात का कहना है कि हम इस कानून का विरोध करते हैं. फाइनेंस बिल होने के नाते राज्यसभा में भी इस कानून को रोका नहीं जा सकता. प्रकाश करात का कहना है कि अब कोई भी विदेशी कंपनी भारत में अपनी एक ब्रांच खोलकर राजनीतिक दलों को चंदा दे सकती है जिसकी जांच नहीं होगी सीपीएम इस कानून के खिलाफ है.
अदालत के अलावा लेफ्ट पार्टियां सड़क पर भी इस मसले को उठाकर बीजेपी को घेरने की कोशिश करेंगी. संसद में हंगामे के बीच सरकार ने वित्त विधेयक 2018 में 21 संशोधनों को मंजूरी दे दी, उन्हीं में से एक संशोधन विदेशी चंदा नियमन कानून 2010 था. यह कानून अब तक भारत की राजनीतिक पार्टियों को विदेशी कंपनियों से चंदा लेने से रोकता था.
सरकार इस बिल को फाइनेंस बिल के रूप में लेकर आई जिससे राज्यसभा में भी इस कानून को अब नहीं रोका जा सकेगा और इसके लागू होने के बाद भारत के सभी राजनीतिक दल किसी भी विदेशी कंपनी से चंदा ले सकेंगे और उसकी जांच नहीं की जा सकेगी.
सीपीएम नेता प्रकाश करात का आरोप है कि बीजेपी ने इस कानून के जरिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों के चंदे के खिलाफ 2014 में आए दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश से बचा लिया है. साल 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट ने बीजेपी और कांग्रेस को विदेशी चंदों के मामले में एफसीआरए के मामले के तहत दोषी पाया था और केंद्र सरकार को इन दोनों पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश भी दिए थे.
कार्रवाई से बचने के लिए केंद्र सरकार वित्त विधेयक 2016 लेकर आई थी जिसमें विदेशी चंदा नियमन कानून यानी एफसीआरए में संशोधन कर दिया गया था. अब इस नए कानून के जरिए 1976 से ही राजनीतिक दलों को मिलने वाले हर चंदे की जांच की संभावना को खत्म कर दिया गया है.
वामपंथी दलों का कहना है कि वह अब सड़क पर इस कानून के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे. वहीं सुप्रीम कोर्ट में सीताराम येचुरी द्वारा इस बिल के खिलाफ दाखिल की गई याचिका लंबित है.