अगस्ता वेस्टलैंड डील मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बीजेपी के निशाने पर है. पार्टी ने इस ओर अब एक नया दावा किया है. बीजेपी का कहना है कि तत्कालीन रक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता एके एंटनी ने चॉपर डील के इटली में फील्ड ट्रायल पर आपत्ति जताई थी, जबकि सोनिया ने उनकी बात नहीं सुनी.
एंटनी को गड़बड़ियों का था डर
बीजेपी प्रवक्ता जीवीएल नरसिम्हा राव ने दावा किया कि एके एंटनी को इस बात का डर था कि अगर चॉपर का ट्रायल इटली में किया गया, तो इसमें गड़बड़ियां हो सकती हैं. इसलिए वो इसका ट्रायल भारत में कराने के पक्ष में थे, लेकिन न ही पार्टी ने और न ही सोनिया गांधी ने उनकी बात सुनी.
एंटनी ने प्रस्ताव पर उठाए थे सवाल
एंटनी ने विदेश में ट्रायल करने के लिए प्रस्ताव पर सवाल उठाए थे. सीएजी की रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है. एंटोनी ने कहा था, 'अगर इसका ट्रायल देश में न होकर विदेश में किया जाता है तो इसकी विश्वसनीयता की क्या गारंटी है. उन्होंने फाइल में दर्ज किया था कि इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती लेकिन उन्होंने अस्पष्ट कारणों की वजह से इसमें नरमी दिखाई.'
आपत्ति के बावजूद दी गई इजाजत
उन्होंने कहा कि एंटनी की आपत्ति के बावजूद कांग्रेस ने इस ट्रायल को देश से बाहर कराने की इजाजत दे दी थी. बीजेपी ने ये भी दावा किया है कि एंटनी की तरफ से इसमें नरमी दिखाए जाने के पीछे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल का हाथ था. बीजेपी प्रवक्ता के मुताबिक एंटनी को खामोश रहने के लिए कहने वाली और कोई नहीं बल्कि सोनिया गांधी थीं.
राव ने कहा, 'यूपीए सरकार या कांग्रेस में सोनिया गांधी और उनके सलाहकार अहमद पटेल के अलावा कौन है, जिनके पास एंटनी का फैसला टालने का अधिकार हो. जिसने उन्हें चुप कराया था, वो सोनिया गांधी ही हो सकती हैं.'