मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने सोमवार को शपथ लेने के चंद घंटे के अंदर ही कर्जमाफी का ऐलान कर दिया. कांग्रेस शासित राज्यों की नई सरकारों के इस कदम से बीजेपी शासित राज्य भी दबाव में हैं. असम की बीजेपी सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने का ऐलान किया, तो वहीं गुजरात की रूपाणी सरकार ने बिजली बिल माफ करने का कदम उठाया है.
गुजरात की विजय रूपाणी सरकार ने मंगलावर को रिहायशी, कॉमर्शियल और कृषि क्षेत्र के 625 करोड़ रुपये के बिजली बिल माफ करने का ऐलान किया है. गुजरात के बिजली मंत्री सौरभ पटेल ने कहा कि 19 दिसंबर से तत्काल प्रभाव से ऐसे बिजली कनेक्शन से सभी बकाया राशि को माफ करने का फैसला किया है.
प्रदेश में रिहायशी, कॉमर्शियल और कृषि क्षेत्र के बिजली कनेक्शन 6.22 लाख से अधिक उपभोक्ता हैं. इन कनेक्शनों की कुल बकाया राशि करीब 625 करोड़ रुपये है. उपभोक्ता 500 रुपये का भुगतान करके एक बार निपटारे का लाभ उठा सकेंगे. यह छूट 19 दिसंबर, 2018 से 28 फरवरी, 2019 तक उपलब्ध होगी.
दूसरी तरफ, सोमवार को असम की बीजेपी सरकार ने भी किसानों के कर्जमाफी का ऐलान किया. असम सरकार ने किसानों के लोन का 25 पर्सेंट (अधिकतम 25 हजार रुपये) माफ कर रही है. उन किसानों का लोन माफ कर रही है, जिन्होंने पीएसयू बैंकों और किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लोन लिया है. इस कर्जमाफी का फायदा लगभग आठ लाख किसानों को मिल सकता है.
कैबिनेट मीटिंग के दौरान असम सरकार ने 25 हजार तक कर्जमाफी के अलावा ब्याज राहत योजना को भी मंजूरी दी है. प्रदेश के 19 लाख किसान अगले साल से जीरो ब्याज दर पर लोन ले सकेंगे.
जेटली ही नहीं, शाह को भी नहीं पसंद खजाने पर पहरा
बता दें कि कांग्रेस की तीन राज्यों में सत्ता में वापसी हुई है, इसमें कर्जमाफी के वादे की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है. यही वजह है कि कांग्रेस के दो मुख्यमंत्रियों ने शपथ लेने के लिए कुछ घंटों में कर्जमाफी की फाइल पर दस्तखत कर अपने वादे को पूरा किया. मध्य प्रदेश में सीएम कमलनाथ ने सरकारी और सहकारी बैंकों से किसानों द्वारा लिए गए 2 लाख रुपए तक के अल्पकालीन फसल लोन को माफ करने का ऐलान किया.
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद कैबिनेट की बैठक में सबसे पहले किसानों का कर्ज माफ करने का ऐलान किया. सरकार के इस कदम से सूबे के किसानों का 6100 करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया है. हालांकि, अभी राजस्थान सरकार ने इस दिशा में कदम नहीं उठाया है.
इन दोनों राज्यों से पहले कांग्रेस पंजाब और कर्नाटक में भी किसानों के कर्जमाफी के वादे पर अमल कर चुकी है. कर्नाटक में कांग्रेस जेडीएस के साथ मिलकर सरकार चला रही है. बावजूद इसके कांग्रेस ने किसानों की कर्जमाफी के वादे को पूरा किया था.
गौरतलब है कि यूपी के 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने किसानों के कर्ज माफी का वादा किया था. सूबे में सरकार बनने के एक महीने के अंदर बीजेपी ने किसानों से किए गए कर्ज माफी के वादे को निभाया था. इससे पहले, 2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार ने देश भर के किसानों का 65 हजार करोड़ का कर्जमाफ किया था. इसका सियासी फायदा भी मिला.