अठारहवीं सदी के महान शासक टीपू सुल्तान की जयंती मनाने को लेकर कर्नाटक कांग्रेस सरकार के फैसले पर विवाद खड़ा हो गया है. बीजेपी ने आरोप लगाया है कि यह सत्तारूढ़ पार्टी की अपने वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने 22 दिसंबर को इतिहासकार प्रो. बी शेक अली की किताब ‘टीपू सुल्तान: ए क्रूसेडर फॉर चेंज’ के विमोचन के मौके पर कहा था कि टीपू सुल्तान की जयंती मनाने के लिए विभिन्न हलकों से काफी दबाव है. सीएम ने कहा था, 'हमने इस पर विचार करने का फैसला किया है और हम जल्द ही तारीख की घोषणा करेंगे.'
दूसरी ओर, सीएम का यह ऐलान बीजेपी को नागवार गुजरा है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया है कि टीपू एक क्रूर शासक थे, जिन्होंने कर्नाटक के कोडागु और दक्षिण कन्नड़ जिलों में व पड़ोसी केरल में जबरन धर्मांतरण करवाया था. बीजेपी नेता सुरेश कुमार ने कहा कि टीपू को ऐसा व्यक्ति नहीं माना जा सकता जिनकी जयंती सरकार को मनानी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि मैसूर के शासक रहे टीपू ने कोडवा (कोडागु जिले के निवासियों) के खिलाफ बर्बरता बरती थी.
उन्होंने दावा किया, 'बीजेपी का टीपू सुल्तान के प्रशासन के बारे में अपना विचार है. खासतौर पर तब, जब आप कुर्ग (कोडागु) और अन्य स्थानों पर जाते हैं. वहां लोगों को कुर्गवासियों के खिलाफ बरती गई बर्बरता अब भी याद है, जिन्होंने उनके फतवे को मानने से इनकार कर दिया था. टीपू को ऐसा व्यक्ति नहीं माना जा सकता, जिनकी जयंती राज्य सरकार मनाए.'
गौरतलब है कि टीपू मैसूर राज्य के शासक थे. उन्हें ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का कट्टर शत्रु माना जाता था. मई 1799 में ब्रिटिश सैनिकों से श्रीरंगपटनम के अपने किले को बचाते हुए वह मारे गए थे.
-इनपुट भाषा से