कोयला ब्लॉक आवंटन पर सीबीआई के हलफनामे को लेकर मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग की है, जिसे सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया है.
दरअसल, सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक हलफनामे में कहा है कि कोयला आवंटन घोटाले की स्टेटस रिपोर्ट को प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) कानून मंत्रालय के साथ साझा किया गया, क्योंकि उन्होंने ऐसी इच्छा जताई थी.
सीबीआई ने जैसे ही यह हलफनामा दायर किया बीजेपी ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे की मांग कर डाली.
सरकार बना रही थी सीबीआई पर दबाव
बीजेपी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने आज तक के साथ खास बातचीत करते हुए कहा, 'सुप्रीम कोर्ट के मना करने के बावजूद सीबीआई ने सरकार को हलफनामा दिखाया. इससे साफ है कि सरकार जांच एजेंसी पर दबाव बना रही थी. जनता को इस बात का पूरा हक है कि बैठक से पहले और बैठक के बाद के हलफनामे में क्या अंतर है. प्रधामंत्री और कानून मंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए.'
हालांकि केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने साफतौर पर कहा, .'कानून मंत्री अश्विनी कुमार के इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता.'
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर
इससे पहले कोयला घोटाले पर सीबीआई ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया, जिसमें जांच एजेंसी ने दलील दी है कि हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय यानी कि पीएमओ को स्टेटस रिपोर्ट दिखाई गई थी, लेकिन सरकार के दबाव में उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया.
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उसने कोयला ब्लॉक आवंटन पर 8 मार्च की स्टेटस रिपोर्ट केंद्रीय कानून मंत्री अश्विनी कुमार और प्रधानमंत्री कार्यालय के एक वरिष्ठ नौकरशाह के साथ साझा की थी. लेकिन 26 अप्रैल कीस्टेटस रिपोर्ट उसने किसी से भी साझा नहीं की.
सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दायर हलफनामे में कहा, 'मैंने 8 मार्च की स्टेटस रिपोर्ट केंद्रीय कानून मंत्री से साझा की थी, क्योंकि वह चाहते थे कि कोर्ट में पेश किए जाने से पहले उन्हें इस बारे में जानकारी दी जाए.'
हलफनामे में कहा गया है कि केंद्रीय मंत्री के अलावा इसे प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी के साथ भी साझा किया गया.
सीबीआई के निदेशक ने यह बात 12 मार्च के सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के जवाब में कही, जिसमें उनसे पूछा गया था कि क्या 8 मार्च की स्टेटस रिपोर्ट की जांच उन्होंने ठीक ढंग से की था और क्या इसके तथ्यों को राजनीतिक कार्यकारी से साझा किया गया था?
सीबीआई के निदेशक ने हलफनामे में कहा है कि जांच एजेंसी की 26 अप्रैल की स्टेटस रिपोर्ट की जांच उन्होंने खुद की है और इसे राजनीतिक कार्यकारी सहित किसी के भी साथ साझा नहीं किया गया है. इसके साथ ही सीबीआई प्रमुख ने आगे की स्टेटस रिपोर्ट किसी नेता से साझा नहीं करने का वादा भी किया.
सीबीआई निदेशक की नारायणसामी से मुलाकात पर राजनीति तेज
कोयला ब्लॉक आवंटन पर सु्प्रीम कोर्ट में सीबीआई द्वारा हलफनामा पेश करने से एक दिन पहले यानी कि गुरुवार को जांच एजेंसी के निदेशक रंजीत सिन्हा की कार्मिक मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री वी. नारायणसामी से उनके आवास पर कथित मुलाकात को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है.
विपक्षी दल बीजेपी ने केंद्र सरकार पर सीबीआई के काम में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया है. बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने शुक्रवार को संवादाताओं से कहा, 'कांग्रेस ने जिस तरह से सीबीआई का उपयोग और दुरुपयोग अपने हित में किया है, वह देश के लोकतंत्र के लिए वास्तव में एक बड़ा खतरा है.'
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के गुरुदास दासगुप्ता ने कहा, 'मुलाकात में कोई भी हैरानी वाली बात नहीं है. कांग्रेस ने समय-समय पर कई बार सीबीआई का इस्तेमाल किया है.'
खबर है कि सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने गुरुवार को नारायणसामी से उनके तुगलक क्रेसेंट आवास पर मुलाकात की थी. उनकी मुलाकात करीब डेढ़ घंटे चली थी.