जम्मू-कश्मीर में नई सरकार ने आते ही ऐसे-ऐसे बयान दिए और ऐसे कदम उठाए हैं कि उसकी साझीदार पार्टी बीजेपी की जान सांसत में पड़ गई है. पहले तो मुफ्ती सईद ने कश्मीर में चुनाव होने के लिए पाकिस्तान और आतंकियों का शुक्रिया अदा किया और फिर कट्टर अलगाववादी मसरत आलम को रिहा कर दिया.
मसरत वही कट्टरपंथी है जिसने कश्मीर में पथराव को बढ़ावा दिया था और इतनी हिंसा करवाई थी कि सौ से ज्यादा लोगों की जानें चली गईं. बाद में उसे गिरफ्तार करके जेल में ठूंस दिया गया था. उसके बाद ही हिंसा का वह दौर रुका. मसरत पर 15 मुकदमे चल रहे हैं. बताया जा रहा है कि पीडीपी सरकार कुछ और कट्टर अलगाववादियों को रिहा कराने में लगी हुई है. उसकी मंशा राजनितिक कैदियों के अलावा अलगाववादियों को जेलों से रिहा करने की है. उसका कहना है कि इससे ही शांति व्यवस्था बहाल करने में मदद मिलेगी.
ऊपर से सुनने में तो यह लोकतांत्रिक सी बात लगती है लेकिन जो लोग कश्मीर की राजनीति और वहां के हालात से परिचित हैं उन्हें पता है कि अलगाववादियों के तार सीधे पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं और वह उन्हें शांति से बेठने नहीं देगा. उनके माध्यम से वहां कुछ न कुछ चलता रहेगा. ऐसे में नई सरकार को सतर्क रहने की जरूरत है और भावनाओं में बहने की बजाय ज़मीनी हकीकत को जांचना चाहिए.
कश्मीर में अभी शांति है लेकिन कब हालात बिगड़ जाएं, पता नहीं. ऐसे में मुफ्ती सईद को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. उन्हें ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाना चाहिए जिससे देश की अखंडता पर आंच आए. पीएम मोदी ने संसद में दो टूक बयान देकर अपनी और पार्टी की स्थिति स्पष्ट कर दी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान कि देश की सुरक्षा के बारे में कोई समझौता नहीं किया जा सकता है, यहां पर मायने रखता है. वैसे विपक्ष का गुस्सा भी वाजिब है.
अगर कश्मीर सरकार इस तरह के कदम उठाती रही तो अलगाववादियों तथा कट्टरवादियों के हौंसले बढ़ जाएंगे और वह राज्य फिर चलने लगेगा. मुफ्ती सईद इसे पहले झेल चुके हैं. उन्हें इस बात का एहसास है कि उपद्रवी तत्व वहां क्या गुल खिला सकते हैं. अब केन्द्र सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे उपद्रवी और राष्ट्रविरोधी तत्वों की रिहाई न हो. इस बारे में कोई भी समझौता नहीं हो सकता. अब केन्द्र सरकार ने अपनी राय जाहिर कर दी है.
ऐसे में पीडीपी को भी सोचना पड़ेगा. उसे ऐसी हरकतों से बचकर राज्य की गरीब जनता के उत्थान के बारे में सोचना होगा जो पिछले काफी समय से प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रही है. यह समय अलगाववादियों के प्रति दरियादिली दिखाने का नहीं है. कठोर फैसलों से ही राज्य में हालात बदलेंगे न कि ऐसे कदमों से.