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चुनावी विश्‍लेषण: कर्नाटक के बाद देश में आम चुनाव की आहट, मोदी पर फिर सोचेगी बीजेपी

दक्षिण भारत में अपने पहले और एकमात्र किले को हारने का दर्द तो उसे होगा, लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि वह दूसरे नंबर पर आने के लिए जूझ रही है.

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बीजेपी के लिए बुरी बात सिर्फ यह नहीं है कि वह कर्नाटक में हार रही है. दक्षिण भारत में अपने पहले और एकमात्र किले को हारने का दर्द तो उसे होगा, लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि वह दूसरे नंबर पर आने के लिए जूझ रही है.

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कर्नाटक चुनाव परिणाम के मुख्य अंश | विधानसभा क्षेत्र के अनुसार परिणाम

कर्नाटक में बीजेपी की हार चौतरफा है और राज्य का कोई भी इलाका उसके लिए अच्छी खबर लेकर नहीं आया. बीजेपी के नेता अब आने वाले दिनों में इस बात की मीमांसा करना चाहेंगे कि भूल कहां हो गई- बेल्लारी बंधुओं के लौह अयस्क कारोबार के काले धंधे से जुड़कर या येदियुरप्पा की नुकसान पहुंचाने की क्षमता को कम आंक कर या कोई और वजह हुई, जिसका खामियाजा पार्टी को इतनी बुरी तरह भुगतना पड़ा.

राष्ट्रीय राजनीति पर असर
1.कर्नाटक का चुनाव देश की राजनीति पर निर्णायक असर डाल सकता है. कांग्रेस की जीत के बाद यह मुमकिन है कि साल के अंत में 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के साथ देश में आम चुनाव हो जाएंगे. कांग्रेस अब उत्साह के साथ नजर आएगी और बीजेपी और विपक्ष के हमलों का मुकाबला करने के लिए कर्नाटक के नतीजे के रूप में उसके पास एक हथियार होगा. कांग्रेस नेताओं के आज के बयान पार्टी के बढ़े हुए उत्साह को दिखा रहे हैं.

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2.बीजेपी के आक्रमण की धार थोड़ी कमजोर हो सकती है. नरेंद्र मोदी को पूरी तरह से आगे लाने या न लाने को लेकर पार्टी में चिंतन होगा. कर्नाटक में बीजेपी सरकार भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी रही और इसकी कीमत उसे चुकानी पड़ी. पार्टी अपने चाल चेहरा और चरित्र को लेकर नए सिरे से सोच सकती है.

3.कर्नाटक में जेडी एस के अच्छे प्रदर्शन से राष्ट्रीय राजनीति में तीसरे मोर्चे की चर्चा आगे बढ़ेगी.

लेकिन इस बीच जनता दल सेकुलर (JDS) ने चमत्कारिक प्रदर्शन किया. पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा और उनके बेटे कुमारस्वामी की पार्टी ने सिर्फ 28 सीटें हासिल की थीं. लेकिन उसे 19 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे. इसलिए कोई भी विश्लेषक इस पार्टी को खारिज तो नहीं कर रहा था, लेकिन उसके इतने अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद भी कम लोगों को ही थी.

ऐसा लगता है कि जेडीएस को वोक्कालिगा के अलावा बाकी समूहों खासकर मुसलमानों के वोट भी मिले हैं. जेडी-एस और कांग्रेस पहले भी मिलकर सरकार चला चुके हैं. आगे इसकी संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता.

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