फ्रांस के साथ हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर जारी घमासान के बीच केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता जनता (पार्टी) ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के कथित झूठ को बेनकाब करने के लिए मामले से जुड़े घटनाक्रम सिलसिलेवार तरीके से सामने रखे हैं. बीजेपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से राहुल गांधी के 9 कथित झूठ और उससे जुड़े तथ्य दिए हैं. बीजेपी ने आरोप लगाया है राहुल ने अपने झूठ से भारतीय सैन्य बलों को अपमानित किया है और उनसे आधे अधूरे तथ्य सामने रखने के लिए माफी की मांग की है. यही नहीं, बीजेपी ने कथित तौर पर झूठ बोलने के लिए राहुल गांधी को नोबेल पुरस्कार का हकदार बताया है.
भारतीय जनता पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को झूठा बताते हुए लिखा है कि यदि वे और इस गुनाह में उनके साथी द हिंदू को अपनी खोज पर भरोसा था तो उन्हें अपनी खोज के साथ सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए. लेकिन वे जानते हैं कि उन्हें खड़ा होने का मौका नहीं मिलेगा. बीजेपी ने राहुल गांधी को चुनौती दी है कि वे इस नए तथ्य से साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं. दरअसल, शुक्रवार को द हिंदू अखबार ने सरकारी दस्तावेज के जरिए दावा किया था कि रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने राफेल मामले पर पीएमओ द्वारा समानांतर बातचीत का विरोध किया था. हालांकि रक्षा मंत्रालय की आपत्ति जवाब तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी दिया था जिसे इस लेख में नहीं छापा गया. भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी के जो झूठ गिनाए हैं वो इस प्रकार हैं:
Lie No.7: #LiarRahul said that the processes and procedures laid down for military acquisitions were flouted by PM Modi’s government.
Fact: Hon’ble SC in its judgment held: We are SATISFIED that there is no occasion to really doubt the process. pic.twitter.com/IESjpLaIfx
— BJP (@BJP4India) February 9, 2019
झूठ नंबर 1: राहुल गांधी ने फ्रांसीसी मीडिया की रिपोर्ट ट्विस्ट करते हुए यह बताने की कोशिश की कि दसॉल्ट को भारत से डील करने के लिए अंबानी को ऑफसेट पार्टनर बनाना पड़ा.
तथ्य: सुप्रीम कोर्ट और दसॉल्ट के सीईओ ने कहा है कि ऑफसेट पार्टनर के चयन में भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं था.
झूठ नंबर 2: राहुल गांधी ने भ्रांति फैलाने की कोशिश की कि सुप्रीम कोर्ट ने डील में गंभीर अनियमितता पाई है. लिहाजा, उन्होंने विचाराधीन मामले में प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश की.
तथ्य: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की शह पर अपील करने वालों की याचिकाएं खारिज किया और कहा कि सरकार ने कुछ गलत नहीं किया.
झूठ नंबर 3: राहुल गांधी ने दावा किया कि रक्षा मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी को राफेल डील के विरोध में डिसेंट नोट प्रस्तुत करने के लिए मोदी सरकार ने सजा दी.
तथ्य: राहुल का यह झूठ बेनकाब हो गया जब अधिकारी ने खुद मीडिया से बातचीत में किसी भी तरह की सजा से इनकार किया.
झूठ नंबर 4: राहुल गांधी ने कहा कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद ने पीएम मोदी को चोर कहा और भारत सरकार ने उनसे रिलायंस को शामिल करने के लिए कहा.
तथ्य: ओलांद ने इन आरोपों को खारिज किया. फ्रांस सरकार ने आधिकारिक बयान जारी किया.
झूठ नंबर 5: राहुल गांधी ने संसद में भी झूठ बोला और कहा कि फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने उनसे स्वयं कहा कि इसमें कोई गोपनीय धारा नहीं है.
तथ्य: फ्रांस सरकार ने उनके झूठ को खारिज करते हुए बयान जारी किया और कहा कि समझौता पार्टियों को क्लासिफाइड जानकारी साझा करने की इजाजत नहीं देता.
झूठ नंबर 6: राहुल गांधी ने यूपीए के दौरान डील की कई कीमतें बताईं
-संसद में उन्होंने कहा 520 करोड़
-कर्नाटक में कहा 526 करोड़
-राजस्थान में कहा 540 करोड़
-दिल्ली में कहा 700 करोड़
विश्लेषण: वह झूठ बोलने के लिए नोबेल के हकदार हैं.
Lie No.3: #LiarRahul claimed that a senior officer at MoD was ‘punished’ by Modi govt for submitting a dissent note on Rafale deal.
Fact: #LiarRahul’s lies were shattered when the officer in question spoke to media and denied any kind of ‘punishment’. https://t.co/6yJjuSr0tE
— BJP (@BJP4India) February 9, 2019
झूठ नंबर 7: राहुल गांधी ने कहा कि पीएम मोदी की सरकार ने सैन्य अधिग्रहण के नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया.
तथ्य: माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा: हम इस बात से सहमत हैं कि इस प्रक्रिया पर वास्तव में संदेह करने का कोई अवसर नहीं है.
झूठ नंबर 8: राहुल गांधी ने कहा कि यूपीए ने 526/520/540 रुपये में डील की जबकि एनडीए ने यह डील 1600 करोड़ रुपये में की.
विश्लेषण: वे सेब की तुलना संतरे से कर रहे हैं. एनडीए द्वारा बातचीत के जरिए तय की गई कीमत पूरे परिचालन पैकेज के साथ राफेल विमान की है.
झूठ नंबर 9: राहुल गांधी ने कहा कि 36 विमान खरीदने का निर्णय वायुसेना को नुकसान पहुंचाने और दोस्त को फायदा पहुंचाने के लिए लिया गया.
तथ्य: माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह निर्णय सैन्य तैयारियों को ध्यान रखते हुए लिया गया और वायुसेना खुश है.