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यूपी की जीत ने बीजेपी को इन पांच मोर्चों पर बना दिया 'बाहुबली'

यूपी में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद पार्टी और अधिक सशक्त हुई है. 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 बीजेपी विधायक पहुंचाकर यूपी की जनता ने बीजेपी को 'बाहुबली' बना दिया है. यूपी की प्रचंड जीत का असर अभी बहुत आगे तक नजर आने वाला है.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

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यूपी में बीजेपी को मिले प्रचंड बहुमत के बाद पार्टी और अधिक सशक्त हुई है. 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 बीजेपी विधायक पहुंचाकर यूपी की जनता ने बीजेपी को 'बाहुबली' बना दिया है. यूपी की प्रचंड जीत का असर अभी बहुत आगे तक नजर आने वाला है. केन्द्र की मोदी सरकार को ये चुनावी परिणाम बहुत ही मजबूती प्रदान करने वाले हैं.

इन पांच मोर्चों पर 'बाहुबली' हुई बीजेपी

केंद्रीय राजनीति(राज्य सभा)
2018 तक राज्यसभा की करीब 60 सीटें खाली होने वाली हैं. खाली होने वाली अधिकतर सीटें यूपी, उत्तराखंड और गोवा से होने वाली हैं. आपको बता दें कि राज्यसभा में यूपी की 11 और गोवा और उत्तराखंड की एक-एक सीट खाली होने वाली है. यूपी की 11 सीटों में अभी 7 एसपी, 2 बीएसपी व एक-एक कांग्रेस और बीजेपी के पास है. अब इनमें से अधिकतर सीटों पर बीजेपी का चेहरा होगा क्योंकि ताजा परिणामों के मुताबिक बीएसपी, कांग्रेस और सपा को अपनी सीटें छोड़नी होंगी. ये जरूर है कि हो सकता है कि सपा एक या दो और बीएसपी एक सीट पर बनी रहे.

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अगले साल राज्यसभा की तस्वीर बदलते ही मोदी सरकार को अपने एजेंडे पर आगे बढ़ने में काफी आसानी होगी. अभी तक राज्यसभा में मोदी सरकार अल्पमत में थी जिस वजह से उसके कई बिल पास नहीं हो पा रहे थे. आपको बता दें कि फिलहाल राज्यसभा में यूपीए की संख्या 96 (कांग्रेस-60, एसपी-19, जेडीयू-10, डीएमके-4, आरजेडी-3) है जबकि एनडीए की 70 (बीजेपी-56, टीडीपी-6, अकाली दल-3, शिवसेना-3).

इसके अलावा मोदी सरकार अब देश का अगला राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति अपने पसंद का भी चुन सकती है. दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज की बात करें तो बीजेपी के नेतृत्व में बने एनडीए का वोट शेयर अभी भी बहुमत से कुछ कम रहेगा, लेकिन फिर भी वह इतना नहीं होगा कि एनडीए को यूपीए का मुंह देखना पड़े. वोटों के अंतर को एनडीए अब किसी अन्य दलों के साथ मिलकर पूरा कर लेगा.

आर्थिक सुधार
राज्यसभा में संख्या बल में बीजेपी के आगे होते ही अब वह तेजी से आर्थिक सुधारों के लिए हाथ-पैर मारती नजर आएगी. जाहिर है कि लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार हर हाल में देश की आर्थिक वृद्धि दहाई अंक में लाना चाहेगी. मोदी सरकार इसके लिए सबसे पहली चोट सब्सिडी पर कर सकते हैं.

उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार कई परियोजनाओं में दी जा रही सब्सिडी में कटौती या इसे खत्म भी कर सकती है. इसके अलावा कैशलेस इकोनॉमी पर भी मोदी सरकार और सख्त हो सकती है. सरकार के अन्य बड़े फैसलों में बेनामी संपत्ति और गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम की भी बातें हो रही हैं.

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जीएसटी
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू करने से अप्रत्यक्ष कर सरल होंगे. आर्थिक जानकारों के मुताबिक इससे देश को आर्थिक विकास में गति मिलेगी. कुछ अर्थशास्त्री इससे सहमत नहीं हैं, लेकिन वे भी इसे अहम सुधार मानते हैं. अब जब लोकसभा के साथ-साथ राज्यसभा में एनडीए मजबूत संख्या बल में होगा तो जीएसटी लागू होना तय है.

आपको बता दें कि जीएसटी एक ऐसा टैक्स है जो टैक्स के भारी जाल से मुक्ति दिलाएगा. जीएसटी आने के बाद बहुत सी चीजें सस्ती हो जाएंगी, हालांकि कुछ जेब पर यह भारी भी पड़ेगी. जीएसटी का सबसे बड़ा फायदा होगा कि अब देश में 18 से ज्यादा टैक्सों से मुक्ति मिल जाएगी. इसके लागू होने के बाद पूरे देश में होगा सिर्फ एक टैक्स... जीएसटी.

विदेश नीति(नेपाल-पाकिस्तान-बांग्लादेश पर कड़े फैसले)
यूपी-उत्तराखंड की बड़ी जीत के बाद बीजेपी अब देश और विदेश की राजनीति पर फोकस करेगी. मोदी सरकार खास तौर पर कुछ पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्ते बेहतर करने की कोशिश करेगी. उम्मीद है कि पाकिस्तान के साथ रिश्तों को बेहतर करने के लिए मोदी एक नई शुरुआत कर सकते हैं. यही नहीं नेपाल के साथ बिगड़ते रिश्तों को भी ठीक करने की कोशिश हो सकती है. एक अन्य पड़ोसी देश बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना भी जल्द ही भारत आएंगी. मोदी उनके साथ बातचीत कर दोनों देशों के बीच रिश्तों को और मजबूत करने की ओर कदम बढ़ाना है.

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उम्मीद की जा रही है कि पांच राज्यों के चुनाव और उनमें बीजेपी के शानदार प्रदर्शन के बाद अब मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ और कड़ा रवैया न अपनाते हुए उसके साथ बातचीत का सिलसिला भी शुरु कर सकती है. पिछले दिनों इस बात के संकेत भी मिलने लगे हैं. सिंधु जल समझौते पर अब भारत का रुख बदल चुका है. इसके अलावा अब मोदी सरकार बंगाल शरणार्थियों पर भी कोई बड़ा फैसला ले सकती है. गौरतलब है कि असम, पश्चिम बंगाल, यूपी और बिहार में यह बड़ा चुनावी मुद्दा है.

सामाजिक सुधारों के लिए(ट्रिपल तलाक, शिक्षा का आधुनिकीकरण)
मोदी सरकार आर्थिक सुधारों की तरह ही सामाजिक सुधारों पर भी फोकस करेगी. इस बात की तस्दीक रविवार को जीत का जश्न मनाने बीजेपी मुख्यालय पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण में भी हुई थी. उन्होंने साफ कहा था, "सरकार बनती बहुमत से है लेकिन चलती सर्वमत से है. हमारी सरकार भेदभाव के बिना उनके लिए भी काम करेगी जिन्होंने हमें वोट नहीं दिया."

उम्मीद की जा रही है कि मोदी सरकार ट्रिपल तलाक, कॉमन सिविल कोड जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अब ठोस कदम उठा सकती है. इसके अलावा मोदी सरकार भारत में शिक्षा के स्तर को बेहतर करने के लिए भी कुछ जरूरी कदम उठा सकती है. मिड-डे मील जैसी बड़ी योजनाओं को आधार के साथ चलाने की रणनीति कुछ ऐसा ही संकेत दे रही है. इसके अलावा अब वह मदरसों पर भी फोकस कर सकती है.

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