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श्मशान बना केदारनाथ, लाशों के बीच बिताई रात, 15-20 हजार मरेः अश्विनी चौबे

कुदरत के कहर से बचकर मंत्रीजी सही-सलामत लौट आए हैं. बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने उत्तराखंड से लौटकर आपबीती सुनाई है. उनका कहना है कि केदारनाथ में भारी तबाही मची हुई है और प्रशासन की ओर से कुछ खास नहीं किया जा रहा है.

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अश्विनी कुमार चौबे
अश्विनी कुमार चौबे

कुदरत के कहर से बचकर मंत्रीजी सही-सलामत लौट आए हैं. बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी चौबे ने उत्तराखंड से लौटकर आपबीती सुनाई है. उनका कहना है कि केदारनाथ में भारी तबाही मची हुई है और प्रशासन की ओर से कुछ खास नहीं किया जा रहा है.

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उन्‍होंने यह भी कहा कि केवल केदारनाथ में ही 15 से 20 हजार लोगों के मारे जाने की आशंका है. दरअसल, पूर्व मंत्री अश्विनी चौबे अपने परिवार के साथ केदारनाथ दर्शन के लिए गए थे, लेकिन बाढ़ के चलते वे वहां फंस गए.

केदारनाथ से सकुशल लौटने के बाद चौबे ने देहरादून में कहा कि भारी तबाही के बावजूद सरकार ज्‍यादा कुछ नहीं कर रही है और वे अपने दम पर वापस लौटे हैं. उनका कहना था कि केदारनाथ मंदिर परिसर में लाशें ही लाशें बिछी हुई हैं और मरने वालों की संख्‍या 15 से 20 हजार के आसपास तक हो सकती है.

उन्‍होंने कहा, 'केदारनाथ मंदिर श्मशान में तबदील हो चुका है. मैंने और मेरे परिवार ने खुद लाशों के बीच दो दिन गुजारे हैं. कई लोगों ने तीन दिन के बाद सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ दिया. वहां दवा, कपड़े और खाने का कोई इंतजाम नहीं है.'

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चौबे ने उत्तराखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. उन्‍होंने कहा कि सरकार को पहले से पता था कि मौसम खराब होने वाला है, लेकिन फिर भी जनता तक इसकी सूचना नहीं पहुंचाई गई और उन्‍हें बाहर नहीं निकाला गया. उन्‍होंने कहा, 'ऐसी सरकार किस काम की जो जनता को मौत के मुंह में धकेल दे'.

इस बीच, बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मांग की है कि उत्तराखांड तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए.

वहीं, हेमकुंड से सुरक्षित लौटने के बाद क्रिकेटर हरभजन सिंह ने आज तक के साथ खास बातचीत में कहा कि उत्तराखंड में बड़ा बुरा हाल है. सेना अपनी तरफ से लोगों को बचाने की पूरी कोशिश कर रही है.

हरभजन के मुताबिक, 'मैं आईटीबीपी के कैंप में रहा और मैंने अपनी आंखों से देखा है कि वहां हालात कितने खराब हैं. ना ऊपर जाने का रास्‍ता बचा है और ना नीचे जाने का कोई साधन है. तीन दिन पहले तक जहां पार्किंग थी वहां अब कुछ नहीं बचा है. मैंने खुद गाड़ियों को पानी में बहते हुए देखा है. वहां जरूर कोई शक्ति है, नहीं तो जैसे हालात है उनसे बचकर कोई नहीं निकल सकता.'

गौरतलब है कि केदारनाथ में पहले कुदरत का कहर टूटा और अब खराब मौसम के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा आ रही है. राहत की बात यह है कि कुछ जगहों पर मौसम ठीक होते ही हेलीकॉप्टर से लोगों को सुरक्षित निकालने की कवायद फिर शुरू हो चुकी है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में मरने वालों की तादाद 150 तक पहुंच गई है. अब भी अलग-अलग इलाकों में 62 हजार लोग फंसे हैं.

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