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6 राज्यों की 164 सीटों में से सिर्फ 7 जीती थी BJP, इस बार है बड़ा प्लान

इन राज्यों की 164 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को सिर्फ सात सीटों पर ही जीत मिली थी.  इन राज्यों में बूथ स्तर पर कमेटी बनाई जाएंगी और डोर-टू-डोर कैंपेन चलाया जाएगा. 

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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह

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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए सियासी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है. इस बार उनकी निगाह उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान के साथ ही दक्षिण भारत के राज्यों पर भी है. इसकी वजह यह है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो गए हैं.

ऐसे में उत्तर भारत के राज्यों में बीजेपी के लिए जीत को दोहराना आसान नहीं होगा. पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने सिर्फ यूपी, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से ही 149 सीटों पर जीत दर्ज की थी. यूपी की 80 सीटों में से 71, गुजरात की 26 में 26, राजस्थान की 25 में 25 और मध्य प्रदेश की 29 में 27 सीटों पर बीजेपी ने फतह हासिल की थी. इस चुनाव में बीजेपी ने कुल 282 सीटें जीती थीं.

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अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी को एकजुट विपक्ष की कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा. लिहाजा बीजेपी इस बार उत्तर भारत के साथ ही दक्षिण भारत की लोकसभा सीटों को जीतना चाहती है, ताकि अगर उत्तर भारत में उसको कम सीटें भी मिले, तो इसकी भरपाई की जा सके. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और ओडिशा जैसे राज्यों के लिए प्लान तैयार कर लिया है. थी. ये ऐसे राज्य हैं, जहां बीजेपी पिछली बार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. इन राज्यों की 164 लोकसभा सीटों में से बीजेपी को सिर्फ सात सीटों पर ही जीत मिली थी.  इन राज्यों में बूथ स्तर पर कमेटी बनाई जाएंगी और डोर-टू-डोर कैंपेन चलाया जाएगा. 

आंध्र प्रदेश में व्यापक स्तर पर यात्रा निकालेगी बीजेपी

लोकसभा चुनाव से पहले लोगों तक अपनी पहुंच बनाने के लिए बीजेपी आंध्र प्रदेश में कई कार्यक्रम शुरू करेगी. बुधवार को पार्टी नेताओं के साथ बैठक में अमित शाह ने इस पर चर्चा की. यहां बीजेपी केंद्र की कल्याणकारी योजनाओं के प्रचार करने और टीडीपी पर निशाना साधने की रणनीति पर काम करेगी.

बीजपी की कोशिश टीडीपी को अवसरवादी पार्टी के रूप में लोगों के सामने पेश करने की होगी. बीजेपी एंटी इंकंबेंसी और टीडीपी के खिलाफ लोगों के गुस्से को भी भुनाने का प्रयास करेगी. इसके अलावा बीजेपी उन आरोपों से निपटने के लिए काम करेगी, जिसमें टीडीपी राज्य के विकास में केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा सहयोग न मिलने का प्रचार कर रही है.

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टीडीपी सरकार में भ्रष्टाचार और सरकारी पैसे के दुरुपयोग को भी बीजेपी मुद्दा बनाएगी. साथ ही बीजेपी को टीडीपी और वाईएसआरसीपी के विकल्प के रूप में पेश करने का प्रयास किया जाएगा.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, पीयूष गोयल और प्रकाश जावड़ेकर आंध्र प्रदेश का दौरा करेंगे और केंद्र सरकार के कार्यक्रमों के बारे में लोगों को जानकारी देंगे. बीजेपी नेता केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आंध्र प्रदेश सरकार को दिए गए पैसे के इस्तेमाल का भी मुद्दा उठाएंगे. इस राज्य से लोकसभा की 25 सीटें हैं, जिसमें से 2014 में बीजेपी को दो सीटों पर जीत मिली थी.

राजस्थान में जाति समीकरण बैठाकर चुनाव में उतरेगी बीजेपी

राजस्थान में बीजेपी जाति समीकरण बैठाकर चुनाव में उतरेगी. सूत्रों के मुताबिक बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष शाह के साथ बैठक में लोकसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई, लेकिन राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष बनाने को लेकर कोई बात नहीं हुई. बताया जा रहा है कि इस मसले पर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और बीजेपी अध्यक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाई है, जिसके चलते अभी तक मामला लटका हुआ है.

राजे के कड़े विरोध के बावजूद केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत प्रदेश अध्यक्ष बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं. हालांकि उम्मीद की जा रही है कि बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में ब्राह्मण चेहरा पेश किया जा सकता है, क्योंकि राजे और शेखावत दोनों ही राजपूत समाज से आते हैं. हाल ही में राजस्थान में हुए उप चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था, जिसके चलते माना जा रहा है कि सूबे में कई जाति के लोग वसुंधरा राजे सरकार के खुश नहीं हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए जाति के समीकरण बैठाने की कड़ी चुनौती है.

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केरल में थर्ड फ्रंट बनकर उभरने का लक्ष्य

केरल में बीजेपी खुद को थर्ड फ्रंट के रूप में स्थापित करना चाहती है. ऐसे में वह यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और सीपीएम के नेतृत्व वाले (एलडीएफ) के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाते हुए चुनावी मैदान में उतरेगी. 20 लोकसभा सीटों वाले केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ और सीपीएम के नेतृत्व वाले एलडीएफ गठबंधन ही बीते चार दशक से बारी-बारी से सत्ता पर हैं. इस चुनाव में बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं की हत्या के मुद्दे को भी जोरशोर से उठाएगी.

ओडिशा में पटनायक सरकार के खिलाफ गुस्से को भुनाएगी बीजेपी

ओडिशा में बीजेपी नवीन पटनायक सरकार के खिलाफ एंटी इंकंबेंसी को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी. 21 सीटों वाले इस राज्य में बीजेपी खुद को विकल्प के रूप में पेश करेगी. पिछले चुनाव में बीजेपी को सिर्फ एक सीट मिली थी, लेकिन उसके लिए तसल्ली की बात यह रही कि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई थी.

ममता बनर्जी के गढ़ को भेदने की कोशिश

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी के गढ़ पश्चिम बंगाल में बीजेपी अकेले चुनाव मैदान में उतरेगी. यहां पर लोकसभा की 42 सीटें हैं. हाल के पंचायत चुनाव में पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने बेहतर प्रदर्शन किया था. यहां बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं पर हमले के मामले को जोरशोर से उठाएगी और तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक तेवर दिखाते हुए चुनाव में उतरेगी. बीजेपी का मकसद कांग्रेस और वामदलों के वोटों को अपने पक्ष में लाने का है. बीजेपी अध्यक्ष का लक्ष्य पश्चिम बंगाल से 22 सीट जीतने का है.

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तमिलनाडु में दिलचस्प होगी चुनावी जंग

जयललिता की मौत और करुणानिधि की बढ़ती उम्र के बाद से सूबे में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव कमजोर हुआ है. साथ ही रजनीकांत और कमल हासन जैसे दिग्गज भी यहां अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं. ऐसे में इस बार तमिलनाडु में चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. फिलहाल सत्तारूढ़ एआईएडीएमके बीजेपी के साथ गठबंधन को तैयार नजर आ रही है. इस राज्य में लोकसभा की 39 सीटें हैं. यहां पर भी बीजेपी को पिछली बार सिर्फ एक सीट ही मिली थी. हालांकि इस बार हालात बीजेपी को काफी अनुकूल दिख रहे हैं. यहां पार्टी डोर-टू-डोर अभियान चलाकर जनता तक अपनी पकड़ मजबूत करेगी.

तेलंगाना में वाईएसआर के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी

पिछले लोकसभा चुनाव में तेलंगाना में बीजेपी को सिर्फ एक ही सीट पर जीत मिली थी. हालांकि इस बार बीजेपी यहां अपनी सीटों की संख्या बढ़ाना चाहती है. इसके लिए पार्टी ने रणनीति पर अभी से काम शुरू कर दिया है. यहां पर लोकसभा की 17 सीटें हैं. यहां पर टीआरएस की सरकार है और लोकसभा की 11 सीटों पर कब्जा है. बीजेपी यहां भी वाईएसआर कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने का इरादा रखती है. वाईएसआर कांग्रेस के लिए भी यहां ऐसा करना इस वजह से मजबूरी है, क्योंकि राज्य में उसकी स्थिति बहुत मजबूत नहीं है.

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