उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री सुरेश राणा के दलित के घर खाना बाहर से मंगवा कर खाने पर उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. बीजेपी सांसद और दलित नेता उदित राज ने भी सुरेश राणा के इस तरह से खाना खाने पर सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने यह ठीक नहीं किया. इससे प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है.
सांसद उदित राज ने कहा, 'मैं दलितों की नब्ज को जानता हूं. अब लोग इसको बुरा मानने लगे हैं. राहुल गांधी ने भी इस तरह के कई प्रयोग किए थे, जो नाकाम रहा था.' उन्होंने आगे कहा, 'इस प्रकरण में जो दलित है उसने भी बयान दिया है कि मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे घर में आए और खाना खाकर चले गए. इससे पार्टी का स्तर गिरा है और इस तरह का खाना खाना दलितों को नीचा दिखाने का प्रयास समझा जा सकता है. मैं उमा भारती का समर्थन करता हूं.'
दलित का एहसास
उदित राज का कहना है कि दलित समुदाय ज्यादा जागरुक नहीं है, पढ़ा लिखा नहीं है. इन चीजों से थोड़ी देर के लिए खुश हो सकता है, लेकिन पूरे देश में इसकी प्रतिक्रिया हो सकती है कि अभी भी लोग हमें छोटा समझते हैं, हमारे यहां आकर खाना खाकर इस बात का एहसास कराते हैं.
उन्होंने कहा, 'मेरी यह सलाह है कि दलितों को अपने घर बुलाकर खिलाएं. रोटी-बेटी का संबंध जोड़ें और शासन और प्रशासन में भागीदारी दें. इससे भागीदारी आ जाएगी और सब बराबर भी आ जाएंगे. और उन्हें नीचा देखना भी नहीं पड़ेगा.'
उदित राज का कहना है कि दलितों के घर जाकर खाना खाने से पार्टी को फायदा नहीं होगा. इससे प्रतिकूल असर पड़ेगा. लोग जागरुक हो गए हैं. आज के दलित अस्सी-नब्बे के दशक वाले दलित नहीं रह गए हैं.
उन्होंने उमा भारती की तारीफ करते हुए कहा कि शायद उमा भारती समाज को अच्छे से समझ सकी हैं, पढ़ सकी हैं जिन्होंने कहा कि वह अपने घर पर दलितों को खाना खिलाकर अपने आपको पवित्र समझेंगी. वास्तव में यही किया जाना चाहिए.