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AMU विवाद पर बोले नकवी- जिन्ना न मुसलमानों के, न हिंदुस्तान के आदर्श

नकवी ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि जिन्ना भारतीय मुसलमानों और हिंदुस्तान के आदर्श नहीं हैं. यह एक संवेदनशील मुद्दा है, इसमें किसी तरह का विवाद करके संवेदनशीलता को खराब करने की जरूरत नहीं है.

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मुख्तार अब्बास नकवी (फाइल फोटो)
मुख्तार अब्बास नकवी (फाइल फोटो)

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मोहम्मद अली जिन्ना की फोटो पर जारी विवाद अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है. केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों और प्रशासन से इस मुद्दे का संवेदनशील समाधान निकालने की अपील की है.

राष्ट्रभक्ति पर नहीं उठाया जा सकता सवाल

इस विवाद पर नकवी ने आजतक से खास बातचीत में कहा कि जिन्ना भारतीय मुसलमानों और हिंदुस्तान के आदर्श नहीं हैं. यह एक संवेदनशील मुद्दा है, इसमें किसी तरह का विवाद करके संवेदनशीलता को खराब करने की जरूरत नहीं है. नकवी ने कहा, मुझे पूरा यकीन है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों और प्रशासन की राष्ट्रभक्ति पर कोई सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता.

छात्र और प्रशासन मिलकर निकालें समाधान

केंद्रीय मंत्री नकवी ने कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे का प्रशासन और छात्र मिलकर समाधान करेंगे. उन्होंने कहा, हम सभी चाहते हैं कि इसका समाधान जल्दी से जल्दी होना चाहिए. छात्र संघ के फोटो लगे रहने के तर्क पर नकवी ने कहा कि 1938 के बाद देश के अंदर बहुत कुछ बदला है. जो लोग तर्क दे रहे हैं उनको इस बात का एहसास करना चाहिए.

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जिन्ना पर अंगुली उठाना घटिया बात

वहीं इस मामले पर योगी के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि राष्ट्र निर्माण में जिन महापुरुषों का योगदान रहा है उनपर अंगुली उठाना घटिया बात है. उन्होंने कहा कि देश के बंटवारे से पहले इस देश में जिन्ना का भी योगदान है. मौर्य ने ऐसा बयान देकर अब अपनी पार्टी के नेता को कटघरे में खड़ा किया.

क्या है पूरा मामला

अलीगढ़ से बीजेपी सांसद सतीश गौतम ने एएमयू के कुलपति तारिक मंसूर को लिखे अपने पत्र में विश्वविद्यालय छात्रसंघ के कार्यालय की दीवारों पर पाकिस्तान के संस्थापक की तस्वीर लगे होने पर आपत्ति जताई थी. विश्वविद्यालय के प्रवक्ता शाफे किदवई ने दशकों से लटकी जिन्ना की तस्वीर का बचाव किया और कहा कि जिन्ना विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्य थे और उन्हें छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी.

प्रवक्ता ने कहा, ‘जिन्ना को भी 1938 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी. वह 1920 में विश्वविद्यालय कोर्ट के संस्थापक सदस्य और एक दानदाता भी थे.’उन्होंने कहा कि जिन्ना को मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग किए जाने से पहले सदस्यता दी गई थी.

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