प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी को दूसरी बार केंद्र की सत्ता पर काबिज हुए एक साल होने जा रहे हैं. मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने 2019 में 303 लोकसभा सीटों के साथ सत्ता में वापसी की. इस प्रचंड जीत से हौसले काफी बुलंद थे. इसी का नतीजा था कि बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में हारी हुई दो राज्यों की बाजी को अपने नाम करने में कामयाब रही. बीजेपी ने कांग्रेस के हाथों से दो राज्यों की सत्ता छीन ली है.
लोकसभा चुनाव के फौरन बाद बीजेपी ने पहले कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के हाथों से सत्ता छीनी और बीएस येदियुरप्पा ने सत्ता की कमान संभाली. वहीं, इस साल मार्च में मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सत्ता से बेदखल कर शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने हैं.
कर्नाटक में कुमारस्वामी को दी मात
लोकसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने सबसे पहले ऑपरेशन लोटस को कर्नाटक के सियासी रणभूमि में आजमाया और कामयाब रही. मई 2018 में कर्नाटक विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन कांग्रेस और जेडीएस के हाथ मिलाने के बाद सत्ता पर काबिज होने से बीजेपी के अरमानों पर पानी फिर गया था.
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कुमारस्वामी के नेतृत्व में सरकार बनी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस-जेडीएस के 17 विधायकों ने बगावत कर दी. इसके अलावा दो निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी थी, जिसे बीजेपी ने बहुत ही तेजी से कैश कराया. इसके बाद कई दिनों तक चले सियासी नाटक के बाद 23 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फ्लोर टेस्ट हुआ और कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाई थी और सरकार गिर गई थी. इसके बाद बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार बनी और बागी विधायकों ने कमल का दामन थाम लिया था.
15 महीने के बाद कमलनाथ का तख्तापलट
बता दें कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मैदान में उतरी थी और कांग्रेस ने कमलनाथ की अगुवाई में चुनाव लड़ा था. प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 114, बीजेपी ने 109, बसपा ने 2, सपा ने 1 और चार निर्दलीय जीते थे. कमलनाथ ने सपा, बसपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई थी.
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बीजेपी 15 महीने के बाद मध्य प्रदेश में ऑपरेशन लोटस के जरिए कमलनाथ की सत्ता छीनने में कामयाब रही. बीजेपी के सत्ता में वापसी करान में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अहम किरदार निभाया, जिन्होंने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामा. सिंधिया के 22 समर्थक विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर लिया, जिसकी वजह से कमलनाथ को सीएम के पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि, कमलनाथ ने अपनी सरकार को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो सके.