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अंबेडकर के जरिये दलितों के दिल में जगह बनाएगी BJP, तैयार हुआ प्लान

दलितों की नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा तमाम तरह की कवायद कर रही है. हालांकि सवर्ण समुदाय के वोट को लेकर भाजपा बेफिक्र है क्योंकि उसे भरोसा है कि कोई अन्य पार्टी उसमें सेंधमारी नहीं कर सकती.

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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम मोदी

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एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ सवर्ण जातियों के प्रदर्शनों के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दिल्ली स्थित अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन कर अलग संदेश देने की कोशिश की है. इसका साफ संदेश है कि विपक्षी दलों के दावों को दरकिनार करते हुए भाजपा दलित वोट को साधने में जुट गई है.

शनिवार को पदाधिकारियों की बैठक से पहले पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने सबसे पहले संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ. भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा पर फूल चढ़ाए. इसके जरिये भाजपा ने यह संदेश देने की कोशिश की कि भगवा पार्टी सिर्फ सवर्णों की नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों को अहमियत देने वाली है.

बहरहाल, देश में सवर्ण समुदाय की आबादी करीब 15 फीसदी है. ये भाजपा का मूल वोट बैंक माना जाता है. इसीलिए भाजपा को सवर्णों की पार्टी कहा जाता है. ब्राह्मण-राजपूत-कायस्थ, भूमिहार और वैश्य की पार्टी कही जाने वाली भाजपा धीरे-धीरे समाज के हर तबके की बीच अपना दायरा बढ़ाने में जुटी है और इसके वह तमाम तरह के कदम उठा रही है.

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पंचतीर्थ को बनाया रास्ता

मोदी सरकार पहले ही दलितों तक पहुंच बनाने के लिए पंचतीर्थ का रास्ता अपना चुकी है. इसके तहत भाजपा नीत केंद्र सरकार ने उन जगहों को चिन्हित किया है जो अंबेडकर से जुड़े हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र ने 14 अप्रैल, 2016 को डॉ. अंबेडकर की जन्मस्थली मध्य प्रदेश के महू जाकर उनके स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित किए थे. इसी तरह महाराष्ट्र में भाजपा सरकार बनने के बाद नागपुर में दीक्षा भूमि को ए क्लास पर्यटन स्थल का दर्जा दिया. प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर बाबा साहेब की 125वीं जयंती वर्ष में ये एलान किया गया.

मुंबई में चैतन्य भूमि पर बाबा साहब अंबेडकर स्मारक को विकसित करने का काम प्रगति पर है. महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने तो प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से उन्होंने केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को सहज बनाया.

नई दिल्ली के जनपथ मार्ग पर अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर तैयार किया गया. पर्यटन की दृष्टि से यह स्थल लोगों को आकर्षित करेगा, वहीं बाबा साहेब अंबेडकर के अनुयायी यहां आकर उनके आदर्शों और सिद्धांतों से जुड़ सकते हैं. इसके अलावा, दिल्ली के 26, अलीपुर रोड स्थित बंगले में डॉ अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण हुआ. यहां अनूठे आकार वाली बिल्डिंग की नींव प्रधानमंत्री मोदी ने रखी. प्रधानमंत्री मोदी, बाबा साहेब के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक योगदानों को याद करते हुए कहते हैं कि उन्हें किसी खास वर्ग के लिए समेटना उनके साथ अन्याय होगा.

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दलितों-पिछड़ों के बीच जनाधार

असल में, 2014 के चुनाव के दौरान से ही भाजपा पिछड़ी-अतिपिछड़ी जातियों के अलावा दलित और आदिवासियों के बीच अपने जनाधार को बेहतर करने की कोशिश में लगी है. लोकसभा और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इसका असर भी देखने को मिला था, जिसमें मोदी के नाम पर जातीय बंधन को तोड़कर लोगों ने भाजपा को वोट किया था.

इस बीच, भाजपा ने दलित नेताओं की टीम तैयार की है जो समाज के बीच सरकार की उपलब्धियों और विपक्षी दलों के दौर में दलित समुदाय के लिए उठाए गए कदम की तुलना करके बता रहे हैं. इसके जरिए वे इस बात पर जोर देते हैं कि बाकी दलों से भाजपा बेहतर है. साथ ही सम्मान समारोह का भी आयोजन किए जाने की तैयारी है.

इसके तहत भाजपा ने सभी राज्यों में दलित-आदिवासी समाज के केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ सांसद और पार्टी के अपने वरिष्ठ पदाधिकारियों को अनुसूचित जाति-जनजाति समाज के 2000 से 5000 लोगों का सम्मेलन करने की करने का जिम्मा सौंपा है.

पार्टी के नेता सम्मेलन में ये बताएंगे कि मोदी सरकार और भाजपा शासित राज्य की सरकारों ने कौन-कौन से बड़े महत्वपूर्ण पदों पर अनुसूचित जाति-जनजाति समाज से आने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की है. इसमें राष्ट्रपति, राज्यपाल, राज्यसभा सांसद, केंद्र और राज्य सरकार में मंत्री पद, केंद्र से लेकर राज्यों तक में संगठन में बड़े पद और कई संवैधानिक पदों नियुक्तिया की हैं.

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सवर्ण मतदाताओं की बेफिक्री!

माना जा रहा था कि दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या, आरक्षण और एससी/एसटी एक्ट में बदलाव संबंधी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दलित और आदिवासियों में सरकार के रवैये के खिलाफ एक भावना विकसित हुई. कई अन्य मुद्दों पर भी दलितों में नाराजगी देखने को मिली और इसका नतीजा यह हुआ कि दलितों का 2 अप्रैल को देशव्यापी भारत बंद का असर देखने को मिला था.

इन्हीं मुद्दों के सहारे राहुल गांधी और मायावती समेत विपक्ष के तमाम नेताओं ने भाजपा को घेरना शुरू कर दिया था. फिलहाल दलितों की इस नाराजगी को दूर करने के लिए भाजपा तमाम तरह की कवायद कर रही है. हालांकि सवर्ण समुदाय के वोट को लेकर भाजपा बेफिक्र है क्योंकि उसे पता है कि वह इधर-उधर जाने वाला नहीं है.

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