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कर्नाटक में बनेगी स्वामी विवेकानंद की 120 फीट की मूर्ति, JDS ने साधा निशाना

विपक्षी दल जेडीएस ने कहा कि मौजूदा सरकार पटेल या विवेकानंद के बारे में कुछ नहीं जानती. आज लाखों मजदूर कोरोना की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे हैं. ऐसे समय में सरकार को चाहिए था कि इन पैसों का इस्तेमाल जरूरतमंद लोगों की बदहाली दूर करने में किया जाता.

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स्वामी विवेकानंद की 120 फीट ऊंची मूर्ति बनेगी (फाइल फोटो)
स्वामी विवेकानंद की 120 फीट ऊंची मूर्ति बनेगी (फाइल फोटो)

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  • मूर्ति बनाने के बजाए सरकार लोगों को उनके बारे में बताती: जेडीएस
  • जेडीएस बोली- परेशान मजदूरों की इन पैसे से होनी चाहिए थी मदद

कर्नाटक में स्वामी विवेकानंद की 120 फीट की मूर्ति बनाई जाएगी. इस खबर के सामने आने के बाद से ही राज्य सरकार और विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. कर्नाटक सरकार में आवास मंत्री वी सोमन्ना ने बताया है कि अगले 15 दिनों में इस संबंध में और विस्तृत जानकारी दी जाएगी.

फिजूलखर्ची वाले आरोप के जवाब में आवास मंत्री ने कहा कि यह मूर्ति सरकार अपने पैसे से नहीं बना रही है. कर्नाटक आवासीय बोर्ड एक टाउनशिप बना रही है. इस संबंध में हमें पहले ही 37000 आवेदन मिल चुके हैं. हम लोग उसी पैसे से स्वामी विवेकानंद की मूर्ति बनाएंगे. यह तीन साल का प्रोजेक्ट है.

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वहीं जेडीएस (जनता दल सेक्युलर) प्रवक्ता तनवीर अहमद ने इस फैसले को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार चुनावी फायदे के लिए लोगों को इस तरह की बातों में उलझा रही है. स्वामी विवेकानंद की मूर्ति बनाने से बेहतर होता कि लोगों को उनके बारे में जानकारी दी जाती कि वो कौन थे?

उन्होंने आगे कहा, मौजूदा सरकार पटेल या विवेकानंद के बारे में कुछ नहीं जानती. मूर्ति बनाने के नाम पर लोगों का पैसा खर्च करना इनका मुख्य उद्देश्य है. यह बेहद निंदनीय है. आज लाखों मजदूर कोरोना की वजह से आर्थिक तंगी झेल रहे हैं. ऐसे समय में सरकार को चाहिए था कि इन पैसों का इस्तेमाल जरूरतमंद लोगों की बदहाली दूर करने में किया जाता. इन्हें पुनर्स्थापित करने में किया जाता.

उन्होंने सरकार को गैरजिम्मेदार बताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के इन फैसलों से पता चलता है कि मौजूदा सरकार का कोई विजन नहीं है. मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों को शर्म आनी चाहिए थी.

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बता दें, अक्टूबर 2018 में प्रधानमंत्री मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का अनावरण किया था. सरदार पटेल की मुख्य प्रतिमा बनाने में 1,347 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि 235 करोड़ रुपये प्रदर्शनी हॉल और सभागार केंद्र पर खर्च किये गये. वहीं 657 करोड़ रुपये, निर्माण कार्य के अगले 15 सालों तक ढांचे के रखरखाव पर खर्च किए किए जा रहे हैं. 83 करोड़ रुपये पुल के निर्माण पर खर्च किये गये थे.

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प्रधानमंत्री मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे उस दौरान अक्टूबर 2013 में उन्होंने 2,989 करोड़ रुपये की लागत से नर्मदा के तट पर बनने वाली इस प्रतिमा की नींव रखी. हालांकि इस इलाके में रहने वाले किसान और आदिवासियों ने इस प्रोजेक्ट के लिए सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण पर नाराजगी जाहिर करते हुए पटेल का जन्मदिवस को ''काला दिवस'' के तौर पर मनाया था.

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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का कुल वजन 1700 टन है और ऊंचाई 522 फीट यानी 182 मीटर है. प्रतिमा के पैर की ऊंचाई 80 फीट, हाथ की ऊंचाई 70 फीट, कंधे की ऊंचाई 140 फीट और चेहरे की ऊंचाई 70 फीट है. इस मूर्ति का निर्माण 92 वर्षीय राम वी. सुतार की देखरेख में हुआ था.

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