बद्रीनाथ धाम के बारे में एक धारणा है कि जो भी नेता यहां हेलीकॉप्टर लेकर गया, अगली बार उसके हाथ से सत्ता चली गई. इस कारण नेता और मंत्री यहां कार से ही आते हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी इस धारणा के चलते लामबगड़ तक तो हेलीकॉप्टर से जाएंगे, लेकिन उसके बाद कार से बद्रीनाथ जाएंगे.
अमित शाह 25 जून को सुबह केदारनाथ में पूजा-अर्चना करने के बाद बद्रीनाथ के बजाए लामबगड़ तक हेलीकॉप्टर से जाएंगे. सूत्रों का कहना है कि इस परंपरा का पालन करते हुए शाह हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ नहीं जाएंगे. वहीं इससे पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री भी सत्ता में वापसी के बाद गोविंदघाट में उतरकर बद्रीनाथ कार से गए पिछले साल वे बद्रीनाथ हेलीकॉप्टर से आए थे.
शंकराचार्य स्वरुपानंद महाराज का कहना है कि भगवान बद्रीनाथ सबके नाथ हैं. उनके सामने एश्वर्य लेकर नहीं जाना चाहिए. वहां नम्र होकर विनय पूर्वक ही यात्रा की जानी चाहिए. उससे ही वहां जाने का फल मिलता है. यहां टिहरी नरेश भी जब आता था तो उसे कुष्ट हो जाता था.
इन नेताओं से बनी धारणा
हेलीकॉप्टर लेकर बद्रीनाथ पहुंची पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पूर्व सीएम एनडी तिवारी, बीर बहादुर सिंह, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को सत्ता गंवानी पड़ी. यूपी के पूर्व राज्यपाल सूरजभान, मोतीलाल बोरा व रोमेश भंडारी और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भी कुर्सी गंवानी पड़ी. इसके बाद यह धारणा घर कर गई कि इन्हें हेलीकॉप्टर से बद्रीनाथ आने के कारण कुर्सी गंवानी पड़ी. यह माना जाता है कि मंदिर के ऊपर हेलीकॉप्टर उड़ाने से भगवान बद्रीनाथ नाराज हो जाते हैं. सेना के हेलीकॉप्टर भी मंदिर के ऊपर नहीं उड़ते हैं. ज्यादातर वीआईपी इस मान्यता के चलते मंदिर से दो किमी पहले बने हेलीपैड पर उतरते हैं.