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BJP में अमित शाह के 16 नए काम, जिससे 5 साल में पार्टी ने छुआ 'आसमान'

अमित शाह ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए पिछले 5 वर्षों में बीजेपी को सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया. हालांकि वह मानते हैं कि अब भी बीजेपी का स्वर्णकाल नहीं आया है. 9 जुलाई 2014 को अमित शाह को अध्यक्ष बनाया गया था. जानिए कैसे अपने कार्यकाल में उन्होंने बीजेपी को ताकतवर बनाया.

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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह.(फोटो-http://amitshah.co.in/)
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह.(फोटो-http://amitshah.co.in/)

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अमित शाह ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में 5 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है. 2014 में जब उन्होंने अध्यक्ष पद संभाला उस समय पार्टी ऊंचाइयों पर थी. लेकिन अमित शाह उसे और बुलंदियों पर ले जाना चाहते थे. पद संभालते ही  शाह कुछ नया करने की ठान चुके थे. कुर्सी संभालने के तुरंत बाद जारी उनका एक निर्देश पार्टी नेताओं में चर्चा का विषय बन गया. इस आदेश का मजमून था- आज से चुनाव को छोड़कर बाकी मौकों पर राष्ट्रीय या अन्य स्तर के पदाधिकारियों का निजी जेट से चलना बंद. यह भी कह दिया कि चाहे मैं हूं या अन्य कोई भी पदाधिकारी, संगठन के काम से प्रवास के दौरान महंगे होटलों की जगह गेस्ट हाउस में ही ठहरेगा.

अमित शाह का मानना था कि निजी जेट की जगह ट्रेन से चलने पर साथ सफर कर रही जनता से पार्टी पदाधिकारी संवाद भी कायम कर सकते हैं. इस अवधि में पदाधिकारी न केवल रणनीतियां बना सकते हैं, बल्कि जनता में एक अच्छा संदेश भी दे सकते हैं.

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9 जुलाई 2014 को अमित शाह के अध्यक्ष बनने की घोषणा हुई थी. इन 5 वर्षों में अमित शाह ने पार्टी की चाल और ढाल बदलकर रख दी. बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने 16 नए काम किए. जिसके दम पर बीजेपी आज कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को हाशिए पर लाकर देश की सबसे ताकतवर पार्टी बनने में सफल हुई है. आंकड़ों को देखने पर पता चलता है कि पिछले 5 वर्षों के दौरान अमित शाह बीजेपी के लिए इलेक्शन विनिंग मशीन साबित हुए. बीजेपी नेताओं का मानना है कि इस दौरान विपक्ष के सामने जिस ढंग से सीना तान कर पार्टी खड़ी हुई, अमित शाह के बगैर संभव नहीं था.

यह अमित शाह ही रहे, जिनकी रणनीतियों की बदौलत बीजेपी के सदस्यों की संख्या 2 करोड़ 47 लाख 32 हजार 439 से करीब 5 गुना बढ़ा कर 11.20 करोड़ पहुंच गई. गौर करने वाली बात है कि दुनिया के सिर्फ एक दर्जन देशों की जनसंख्या 11 करोड़ से ज्यादा है. इस बार 6 जुलाई से शुरू हुए अभियान में बीजेपी ने 20 करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य तय किया है. जानिए अमित शाह के बीजेपी में किए गए 16 नए काम.

amit-shah-president_071019041127.pngचुनाव छोड़कर अन्य मौकों पर ट्रेन से सफर करना पसंद करते हैं अमित शाह.. (फाइल फोटो)

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1-कोर ग्रुप को किया सक्रिय

बीजेपी में पहले राष्ट्रीय से लेकर प्रदेश स्तर पर कोर ग्रुप को लेकर असमंजस की स्थिति रहती थी. मगर अमित शाह ने पहली बार पार्टी में कोर ग्रुप की अधिकृत व्याख्या की. उन्होंने प्रदेशों में 13 सदस्यों का कोर ग्रुप बनाया, जिसमें 8 पदेन सदस्य बनाए. डेढ़ महीने में कम से कम एक बैठक कर उसकी राष्ट्रीय अध्यक्ष तक रिपोर्ट भेजने की अनिवार्य व्यवस्था की. 23 अगस्त 2016 को दिल्ली में पहली बार एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में अमित शाह ने कोर ग्रुप की बैठक ली थी.  सामूहिक नेतृत्व को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश स्तर पर कोर ग्रुप का गठन किया गया था.

 2-मिशन मोड में प्रवास

बीजेपी को सुस्ती से उबारने के लिए अमित शाह ने प्रवास योजना तैयार की. प्रदेशों की कार्यकारिणी को मिशन मोड में लाने  के लिए अमित शाह ने 12 केंद्रीय पदाधिकारियों की टीम गठित की. हर चार महीने में एक पदाधिकारी की तीन प्रदेशों में प्रवास करने की ड्यूटी लगाई. जिससे 4 महीने में ही सभी 36 प्रदेशों में बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का प्रवास पूरा हो गया. वहीं एक पदाधिकारी साल में कम से कम 9 प्रदेशों का प्रवास करने में सफल रहा. वहीं तीन पदाधिकारी एक-एक प्रदेश में प्रवास करने में सफल रहा. प्रवास के दौरान अपने अनुभवों को पदाधिकारी रिपोर्ट की शक्ल देते थे. जिसके आधार पर अमित शाह ने 2019 की रणनीति बनाई.

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3- राज्यसभा सदस्यों के साथ बैठक

पहले बीजेपी में राज्यसभा सदस्यों की बैठक लेकर भी उन्हें जिम्मेदारियां नहीं सौंपी जाती थीं. मगर अमित शाह ने राज्यसभा सदस्यों की क्षमता का पूरा सदुपयोग करने की योजना बनाई. उन्होंने पार्टी में पहली बार राज्यसभा सदस्यों की अलग से बैठक की व्यवस्था बनाई. उन्होंने हर एक राज्यसभा सदस्य को 2014 के लोकसभा चुनाव में हारी हुई एक-एक सीटें गोद में दी जिसका 2019 में सकारात्मक परिणाम देखने को मिला. राज्यसभा सदस्यों के समूहों का गठन किया. उन्हें शोध और अध्ययन कर लोकसभा सदस्यों को प्रशिक्षण देने के लिए भी कहा. 31 अगस्त 2016 को पीएम मोदी की मौजूदगी में पहली बार अमित शाह ने राज्यसभा सदस्यों की दिल्ली में बैठक ली.

4-क्षेत्रीय बैठकें

बीजेपी ने संगठन के लिहाज से देश को 7 क्षेत्रों में बांटा है. अमित शाह ने अध्यक्ष बनने के बाद क्षेत्रीय बैठकों की रूपरेखा बनाई. प्रदेशों के सांसद, विधायक, प्रदेश पदाधिकारियों और जिलाध्यक्षों के साथ मुक्त चिंतन के फॉर्मूले पर जोर दिया गया. क्षेत्रीय बैठकों के जरिए अमित शाह ने जिला स्तर तक संवाद कायम किया.

5-नियमित कार्यकारिणी बैठकें

अमित शाह ने राष्ट्रीय, प्रदेश, जिला-मंडल स्तर की कार्यकारिणी बैठकों पर फोकस किया. हर तीन महीने में आयोजन करने का निर्देश दिया. उन्होंने एक नियम बनाया. जिससे राष्ट्रीय कार्यकारिणी के बाद, 7 दिनों में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक और प्रदेश बैठक के बाद 7 दिन बाद जिला कार्यकारिणी और इसके 7 दिन बाद मंडल की बैठक को जरूरी कर दिया. यह भी कहा कि हर बैठक की रिपोर्ट उन्हें तत्काल ई मेल से दी जाए.

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6-जिला कार्यालय निर्माण

अमित शाह के अध्यक्ष बनने से पहले तक बीजेपी संसाधनों के मामलों में कमजोर थी. 80 प्रतिशत जिलों में पार्टी का अपना कार्यालय नहीं था. जर्जर भवनों से कार्यालय चलता था. अमित शाह की योजना के तहत 287 जिलों में कार्यालय के निर्माण के लिए जमीन खरीदी गई. 2019 तक सभी जिलों में कार्यालय तैयार कर लिए जाने का लक्ष्य है.

7-नया और आधुनिक कार्यालय

समय के साथ सब कुछ बदलना चाहिए. इसे समझते हुए अमित शाह ने कार्यालय के आधुनिकीकरण पर जोर दिया. अमित शाह के दौर में ही बीजेपी अशोका रोड के पुराने कार्यालय से दीनदयाल उपाध्याय रोड पर बने आलीशान भवन में शिफ्ट हुई. इस भवन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से लेकर हर वो सुविधा है, जिससे बीजेपी अध्यक्ष देश के किसी भी हिस्से में कार्यकर्ताओं से तुरंत संवाद कर सकते हैं.

8- कार्यकर्ताओं के लिए खुला रखा दरवाजा

अमित शाह ने बतौर बीजेपी अध्यक्ष आम कार्यकर्ताओं के लिए अपना दरवाजा खोल दिया. उन्होंने आम कार्यकर्ताओं के लिए संवाद पर खासा जोर दिया. ताकि कार्यकर्ताओं से रिश्ता कायम हो. अमित शाह महीने के पहले और तीसरे सोमवार को बीजेपी मुख्यालय पर खुद आम जन और कार्यकर्ताओं के लिए उपलब्ध रहते हैं. इसे उन्होंने जनसंवाद नाम दिया. बीजेपी अध्यक्ष 15 हजार से अधिक सामान्य कार्यकर्ताओं से मुख्यालय पर मिल चुके हैं.

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9-प्रशिक्षण महाभियान

अमित शाह ने अध्यक्ष बनने के बाद कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की व्यवस्था शुरू की. केंद्रीय, प्रदेश, जिला और मंडल स्तर पर प्रशिक्षण अभियान को नई ऊंचाइयां दीं. कुल 7307 प्रशिक्षण वर्ग के जरिए 9 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं को ट्रेंड किया. पार्टी के नियम-कायदों से जुड़ी 11.05 लाख किताबें भी इन प्रशिक्षण शिविरों में कार्यकर्ताओं को दी गईं. प्रशिक्षण के लिए अमित शाह ने पहली बार 28 नए संवर्ग बनाए. जिसमें कार्यालय के कर्मचारियों, पदाधिकारियों, मंत्रियों के सहयोगियों आदि के लिए अलग-अलग प्रशिक्षण की व्यवस्था की.

10- मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन

अमित शाह ने बीजेपी के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन की भी शुरुआत की. उन्होंने इसके लिए 3 मुख्यमंत्री और पार्टी के एक उपाध्यक्ष की टीम का गठन किया. इस बैठक में प्रदेशों की मौजूदा राजनीतिक, प्रशासनिक स्थिति की समीक्षा करते हुए सबका साथ-सबका विकास की भावना वाली योजनाएं बनाने पर जोर दिया गया.

11-सात कमजोर राज्यों पर किया फोकस

अमित शाह ने बीजेपी के लिहाज से 7 सबसे कमजोर राज्यों में गतिविधियां बढाईं. इनमें आंध्र प्रदेश, असम, केरल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल राज्य रहे. इसमें असम को जीतने में अमित शाह सफल रहे. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जीतने में सफल रही. इन स्टेट में सांगठनिक प्रभारियों के साथ मंत्रियों की भी नियुक्ति की.

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12- मिशन पूर्वोत्तर

पूर्वोत्तर के 7 राज्यों में संगठन को मजबूत करने में अमित शाह ने ध्यान लगाया. उन्होंने खुद हर राज्य में रात्रि विश्राम किया. पूर्वोत्तर को देश के विकास का इंजन बनाने की बात कहते हुए अमित शाह ने नार्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) बनाया. नतीजा रहा कि मणिपुर और अरुणाचल में बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बनाने में सफल रही.

13-120 सीटों का प्रोजेक्ट

2014 के लोकसभा चुनाव में हारी हुई 120 सीटों पर अमित शाह ने खास रणनीति बनाई. पदाधिकारियों की इन सीटों पर ड्यूटी लगाई. जिससे 2019 में बीजेपी 303 सीटें जीतने में सफल हुई.

14- ग्रंथालय एवं डॉक्यूमेंटेशनः अमित शाह ने हर कार्य के डाक्यूमेंटेशन पर जोर दिया.

15- पार्टी पत्रिकाएं व प्रकाशन विभाग- अमित शाह ने पार्टी की रीतियों और नीतियों के प्रचार-प्रसार के लिए मुखपत्रों के प्रकाशन और उन्हें कार्यकर्ताओं तक पहुंचाने की व्यवस्था की.

16- दीनदयाल जन्मशताब्दी वर्ष उत्सव-अमित शाह के अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी ने दीनदयाल जन्मशताब्दी वर्ष को उत्सव के रूप में मनाया.

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