भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अपने पद से इस्तीफा देकर पार्टी के शीर्ष पद की दौड़ से बाहर हो गये और उनकी जगह राजनाथ सिंह के नया पार्टी अध्यक्ष चुने जाने की संभावना है.
सूत्रों के अनुसार भाजपा के तेजी से बदलते घटनाक्रम के बीच मंगलवार शाम को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक के दौरान गडकरी की जगह किसी और को अध्यक्ष बनाने का फैसला हुआ. इसके बाद गडकरी ने पद से इस्तीफा दे दिया.
गडकरी ने देर रात जारी बयान में कहा कि वह नहीं चाहते कि उनके खिलाफ आरोपों का पार्टी के हितों पर प्रतिकूल असर पड़े.
उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैंने भाजपा अध्यक्ष पद के दूसरे कार्यकाल के लिए दावेदारी नहीं करने का फैसला किया है.’ सूत्रों के अनुसार पार्टी नेताओं की बैठक में राजनाथ को अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाये जाने पर आम-सहमति बन गयी है.
सूत्रों ने बताया कि गडकरी बुधवार को पार्टी के शीर्ष पद के लिए 62 वर्षीय राजनाथ के नाम का प्रस्ताव रख सकते हैं. राजनाथ पहले भी पार्टी के अध्यक्ष रहे हैं और उन्हें भी गडकरी की तरह संघ का करीबी माना जाता है.
गडकरी ने अपने बयान में यह दावा भी किया कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है.
उन्होंने कहा, ‘फिर भी संप्रग सरकार मुझे और मेरी पार्टी को नुकसान पहुंचाने के मकसद से मेरे बारे में दुष्प्रचार करने का प्रयास करती आ रही है. मैंने हमेशा कहा है कि मैं किसी भी स्वतंत्र जांच के लिए तैयार हूं.’
इस बीच बुधवार सुबह 9:30 बजे भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई गयी है जिसमें इस सारे नये घटनाक्रम पर विचार करने के बाद अंतिम फैसला किया जाएगा.
गौरतलब है कि बुधवार को भाजपा के नये अध्यक्ष के बारे में अंतिम फैसला होना था और गडकरी द्वारा दूसरे कार्यकाल के लिए पार्टी का शीर्ष पद संभालना लगभग तय था. लेकिन भाजपा अध्यक्ष की कंपनी पूर्ति समूह से जुड़े कई ठिकानों पर आयकर विभाग के छापे मारे जाने के बाद पार्टी ने फैसला किया कि आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए गडकरी का इस पद पर बने रहना ठीक नहीं होगा.
नये घटनाक्रम के बीच सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, वेंकैया नायडू, राजनाथ सिंह और अनंत कुमार आदि वरिष्ठ नेताओं ने हालात का जायजा लिया और यह पाया कि गडकरी की जगह किसी और का अध्यक्ष बनना ज्यादा ठीक होगा. इस बैठक में भाजपा के संगठन महामंत्री रामलाल भी मौजूद थे.
पूर्ति मामले के उजागर होने के बाद गडकरी की दावेदारी का कुछ दिनों से विरोध कर रहे वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने मंगलवार शाम को पार्टी से नामांकन पत्र और मतदाता सूची लेकर यह संकेत दिया था कि वह गडकरी को निर्विरोध नहीं चुने जाने देंगे. मगर गडकरी के इस्तीफे के बाद उन्होंने भी खुद को दौड़ से बाहर बताया.
गौरतलब है कि गडकरी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बहुत करीबी हैं और उसी के कारण उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया था. दूसरा कार्यकाल भी उन्हें संघ के दबाव के कारण ही दिया जा रहा था.
मगर मंगलवार सुबह से बदलते घटनाक्रम के बीच संघ भी गडकरी के नाम से पीछे हट गया और बीच का रास्ता निकाले जाने पर सहमत हो गया.
पूर्ति मामला सामने आने पर पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी गडकरी को दूसरा कार्यकाल दिये जाने के खिलाफ थे और वह उनकी जगह सुषमा स्वराज या किसी अन्य को अध्यक्ष बनाये जाने की पैरवी कर रहे थे.