नोटबंदी की डेडलाइन खत्म हुई, तो अब बीजेपी सड़कों पर है और वो भी भीम के साथ. भीम के सहारे न सिर्फ नोटबंदी का डेमेज कंट्रोल करने की कोशिश है, बल्कि दलित वोटों पर भी नज़र है.
दरअसल पीएम मोदी ने पिछले हफ्ते भीम ऐप लॉन्च किया है, जिसमें अंगूठे की बायोमेट्रिक पहचान के ज़रिए ही भुगतान किया जा सकता है. ई-पेमेंट ऐप का नाम भीम रखने के पीछे सरकार की मंशा दलित वर्ग के लोगों को मोबाइल बैंकिंग से जोड़ना है, इसलिए इसका नाम भीम राव अंबेडकर के नाम से जोड़ा गया है.
अब बीजेपी नोटबंदी के बाद इस ऐप के प्रचार के लिए सड़कों पर उतरी है. सोमवार को मंदिर मार्ग पर वाल्मीकि मंदिर से दिल्ली बीजेपी ने एक मार्च निकाला. इस मार्च में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी और नई दिल्ली से सांसद मीनाक्षी लेखी ने भी शिरकत की और वाल्मीकि मंदिर से झंडेलवालान के अंबेडकर भवन तक पैदल मार्च किया.
बीजेपी के अनुसूचित जाति मोर्चा के बैनर तले इस मार्च में दलित समुदाय के लोगों को बुलाया गया और उन्हें भीम एप के फायदे बताए और नोटबंदी के बाद कैसे कैशलेस भुगतान किया जा सकता है, उसके बारे में जानकारी दी गई. बीजेपी यूपी के दलित वोटों के साथ ही दिल्ली में ऐप के ज़रिए आने वाले एमसीडी चुनावों में फायदा लेने की कोशिश में है.
भीमराव अंबेडकर के नाम वाले ऐप के ज़रिए एक साथ दो निशाने बीजेपी लगा रही है, पहला तो ये कि दलित बस्तियों में नोटबंदी के बाद उसके फायदे गिनाने के बहाने बीजेपी के नेता वोटरों से भी संपर्क साध रहे हैं. नोटबंदी को लेकर विपक्ष के आरोपों के जवाब भी बीजेपी के नेता दलित बस्तियों में दे रहे हैं. दूसरा ये कि दलितों के बीच बीजेपी अब ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि देश के नीतिगत मामलों में भी दलित प्रतीकों जगह दी जा रही है.