सरकारी नौकरी कर रहे अनुसूचित जाति व जनजाति के लोगों को पदोन्नति में आरक्षण का प्रावधान करने वाला विधेयक एसपी और बीजेपी सदस्यों के अलग-अलग कारणों से कडे़ विरोध के कारण लोकसभा में पारित नहीं हो सका. राज्यसभा इस विधेयक को पारित कर चुकी है.
पदोन्नति में आरक्षण का शुरुआत से ही विरोध कर रही एसपी के सदस्यों ने जहां विधेयक के खिलाफ नारेबाजी की, वहीं बीजेपी ने सदन में व्यवस्था नहीं होने के नाम पर और अपने वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को उनकी बात रखने का अवसर नहीं दिये जाने के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. हंगामे के कारण सदन की बैठक 6 बार के स्थगन के बाद अंतत: अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी.
प्रश्नकाल के तुरंत बाद अध्यक्ष मीरा कुमार ने कार्मिक राज्य मंत्री वी नारायणसामी से संविधान 117वां संशोधन विधेयक 2012 विचार के लिए पेश करने को कहा. लेकिन नारायणसामी जैसे ही बोलने के लिए खडे हुए, सपा सदस्य आसन के सामने आकर विधेयक के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. वे नारे लगा रहे थे, 'प्रमोशन में आरक्षण नहीं चलेगा नहीं चलेगा.' इस दौरान सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव भी अपने स्थान पर खडे होकर विरोध जताते नजर आए.
राज्यसभा में बीजेपी ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया था. लेकिन बाद में इस विधेयक को लेकर पार्टी में कुछ मतभेद नजर आए. पार्टी सांसदों मेनका गांधी और योगी आदित्यनाथ ने संसद के बाहर विधेयक के विरोध में खुलकर टिप्पणियां कीं. मेनका ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश से बीजेपी का कोई भी सांसद इस विधेयक के पक्ष में नहीं हैं.
नारायणसामी ने गुरुवार को विधेयक की प्रति से कुछ नहीं पढा़ बल्कि धाराप्रवाह बोलते चले गये. बुधवार को विधेयक पेश करते समय उनसे एसपी सदस्य यशवीर सिंह ने विधेयक छीन लिया था. विधेयक छीने जाते समय नारायणसामी दूसरी पंक्ति में खडे थे, लेकिन गुरुवार को उन्होंने विधेयक के बारे में छठी पंक्ति से बोलना शुरू किया और उनके अगल-बगल सत्ता पक्ष के सदस्य बैठे हुए थे. जिस समय एसपी सदस्य आसन के सामने नारेबाजी कर रहे थे, बीजेपी सदस्यों ने खडे़ होकर आसन से कहा कि जब सदन में व्यवस्था नहीं है तो संविधान संशोधन पेश नहीं किया जा सकता.
बीजेपी सदस्यों ने आसन से कहा, 'आप गलत परंपरा डाल रही हैं. यह संसदीय नियमों का उल्लंघन है.’ जब हंगामा थमा नहीं, तो बीजेपी संसदीय दल के प्रमुख लालकृष्ण आडवाणी कुछ बोलने के लिए खडे़ हुए, लेकिन एसपी सदस्यों की नारेबाजी जारी रही.
नारेबाजी के बीच ही अध्यक्ष ने विधेयक पर पहले वक्ता के रूप में कांग्रेस के पीएल पुनिया का नाम पुकारा. हंगामे के बीच पुनिया ने अपनी बात कहनी जारी रखी, लेकिन बीजेपी सदस्य इस बात से नाराजगी जताने लगे कि सदन में व्यवस्था नहीं होने पर संविधान संशोधन जैसे महत्वपूर्ण विधेयक पर चर्चा चलाना ठीक नहीं है. इस बारे में आडवाणी कुछ कहना चाहते थे लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला.
हंगामे के कारण दो बार के संक्षिप्त स्थगन के बाद सदन की बैठक जब दोपहर सवा बजे शुरू हुई, तो एसपी के साथ साथ बीजेपी सदस्य भी आसन के सामने आकर नारेबाजी करने लगे, 'प्रतिपक्ष का ऐसा अपमान नहीं चलेगा, नहीं चलेगा.’ एसपी सदस्य पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ नारेबाजी करते रहे. इस बीच कांग्रेस के सदस्य भी अग्रिम पंक्तियों में आकर वी वांट आरक्षण ’ के नारे लगाने लगे.
राज्यसभा में विधेयक का समर्थन करने वाली बीजेपी विधेयक पर विचार के लिए समय चाहती थी. उसका तर्क था कि यह असल विधेयक नहीं है क्योंकि इसमें संशोधन किये गये हैं. हंगामा थमता न देख अध्यक्ष ने सदन की बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.
इससे पहले जिस समय सदन की बैठक स्थगित थी, विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्री एस जयपाल रेडडी आडवाणी और नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज से बात करते देखे गये. दोनों ने मुलायम से भी बात की. इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को जाकर बातचीत की जानकारी दी. दूसरी ओर संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ, दूरसंचार मंत्री कपिल सिब्बल और कांग्रेस की गिरिजा व्यास भी मुलायम से बात करते देखे गये.
बीजेपी सदस्य भी मुलायम से आग्रह करते नजर आए कि वे अपने सदस्यों को नियंत्रित करें ताकि आडवाणी अपनी बात रख सकें. जब बीजेपी की बात मुलायम ने अनसुनी की, तो बीजेपी के अनंत कुमार उन्हें यह कहते सुने गए कि अगली बार जब वह (मुलायम) बोलने के लिए खडे़ होंगे, तो उन्हें बोलने नहीं दिया जाएगा.
दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर एसपी और बीजेपी सदस्यों की नारेबाजी और हंगामा जारी रहा और सदन की बैठक दोपहर ढाई बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई.
ढाई बजे सदन की बैठक शुरू होने पर भी एसपी सदस्यों का हंगामा और नारेबाजी जारी रही. उधर वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी को बोलने का अवसर नहीं दिए जाने का विरोध करते हुए बीजेपी सदस्यों ने भी आसन के समक्ष आकर नारेबाजी शुरू कर दी. इसके चलते बैठक कुछ ही मिनट बाद तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गयी.