गुजरात में विधानसभा चुनावों का बिगुल 1 अक्टूबर को अमित शाह की गौरव यात्रा के साथ फूंका जा चुका है. 2002 से 2014 तक गुजरात में लड़ा गया हर एक चुनाव नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लड़ा गया. इस दौरान राज्य में प्रचार की जिम्मेदारी पाने वालों में शीर्ष नेतृत्व से लाल कृष्ण आडवाणी की भी भूमिका रही. लेकिन मौजूदा राजनीति में जारी घटनाक्रम से साफ संकेत मिल रहा है कि पार्टी के अंदर लाल कृष्ण आडवाणी को जबरन रिटायर करने की कवायद हो रही है.
2014 में वह राज्य की गांधीनगर लोकसभा सीट से निर्वाचित होकर मौजूदा लोकसभा में सदस्य बने. इस सीट से आडवाणी लगातार 24 साल से लोकसभा पहुंच रहे हैं, लेकिन अब न तो लोकसभा की इस सीट को और न ही गुजरात की राजनीति को लाल कृष्ण आडवाणी की जरूरत है. यह हकीकत है कि राष्ट्रीय राजनीति में बीजेपी को लोकसभा की दो सीट से सत्ता तक पहुंचाने का श्रेय लाल कृष्ण आडवाणी की 1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक की गई रथ यात्रा को दिया जाता है.
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सूत्रों की मानें तो अगले महीने होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों के लिए लाल कृष्ण आडवाणी को पार्टी की स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल नहीं किया जाएगा. रविवार को पार्टी की हिमाचल प्रदेश चुनावों के लिए स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की गई और इस सूची में भी उन्हें राज्य की किसी चुनावी जिम्मेदारी से मुक्त रखा गया है. हालांकि इससे पहले हुए उत्तर प्रदेश के चुनावों के लिए भी तैयार हुई स्टार प्रचारकों की सूची से आडवाणी का नाम गायब था. अब सूची में आडवाणी का नाम नहीं होने का साफ मतलब निकाला जा सकता है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में लाल कृष्ण आडवाणी को गांधीनगर की सीट से टिकट नहीं दिया जाएगा.
अब गुजरात चुनाव के लिए पार्टी के प्रचार की तैयारी पर नजर डालें. 2002 के बाद पहली बार अमित शाह के नेतृत्व में सरदार पटेल के जन्मस्थली करमसाड से शुरू हुई गौरव यात्रा को राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर ले जाना है. इस यात्रा के उद्घाटन के बाद पहले चरण में इसे 76 विधानसभा सीटों तक ले जाने की जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल को दी गई. वहीं यात्रा का दूसरा चरण 2 अक्टूबर को पोरबंदर से शुरू किया गया और इसकी कमान राज्य इकाई के पार्टी अध्यक्ष जीतू वघानी को सौंपी गई.
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दोनों ही चरण की इन यात्राओं को जब उम्मीद के मुताबिक भीड़ नहीं दिखाई दी तो पार्टी ने आनन-फानन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को बतौर स्टार प्रचारक इस यात्रा को सफल बनाने की जिम्मेदारी दी गई. यहां भी गांधीनगर से 2 दशक तक सांसद रहे और पार्टी के शीर्षतम नेता लाल कृष्ण आडवाणी को शामिल नहीं किया गया.
गुजरात विधानसभा चुनावों से ठीक पहले यदि स्टार प्रचारकों की सूची से आडवाणी का नाम बाहर है तो जाहिर एक कि एक साल के अंदर होने वाले लोकसभा चुनावों में भी उनकी गांधीनगर से उम्मीदवारी पर सवाल खड़ा किया जा सकता है. संभव है कि 2014 की जीत के बाद पार्टी के अंदर हाशिए पर बैठाए जा चुके आडवाणी की जरूरत पार्टी को अगले लोकसभा चुनावों में नहीं पड़ेगी. ऐसा होता है तो स्टार प्रटारकों की यह सूची लाल कृष्ण आडवाणी के पॉलिटिकल रिटायरमेंट की दिशा में पहला कदम है.