फूड सिक्योरिटी बिल की बातें लागू करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा लाए गए अध्यादेश को लोकतंत्र पर ‘क्रूर मजाक’ करार देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी संसद में विधेयक को पारित किए जाने का विरोध नहीं करेगी, लेकिन इसमें संशोधनों की मांग करेगी.
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राजनाथ सिंह ने आरएसएस प्रमुख से नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में मुलाकात करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हम संसद के अगले मानसून सत्र में इसका (विधेयक) विरोध नहीं करेंगे, लेकिन इसमें कुछ खास संशोधन चाहते हैं.’
हालांकि, उन्होंने इस बारे में स्पष्ट नहीं किया कि बीजेपी क्या संशोधन लाना चाहती है. विधेयक को लाने में विलम्ब पर सवाल उठाते हुए राजनाथ ने कहा, ‘यूपीए नीत कांग्रेस सरकार ने विधेयक को पारित कराने में इतना समय क्यों लगाया और वह भी अध्यादेश के जरिए, जबकि इसने 2004 के चुनावों में वायदा किया था कि सत्ता में आने के 100 दिन के भीतर विधेयक लाया जाएगा.’
यह योजना देश की 67 प्रतिशत आबादी को हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलोग्राम अनाज एक से तीन रुपये प्रति किलोग्राम की दर से मुहैया कराने पर केंद्रित है. योजना का लाभ 80 करोड़ लोगों को मिलने की संभावना है और सरकार को योजना पर 1,25,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.
लागू होने पर यह दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम होगा. बुधवार को मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर किए गए अध्यादेश पर शुक्रवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हस्ताक्षर कर दिए थे.
राजनाथ ने कहा, ‘जब मानसून सत्र नजदीक है, तो विधेयक पर अध्यादेश लाने की क्या जल्दबाजी थी? अध्यादेश का रास्ता अपनाना और कुछ नहीं, बल्कि लोकतंत्र के साथ क्रूर मजाक है.’
इस सवाल पर कि क्या बीजेपी मानसून सत्र को बाधित करेगी, राजनाथ ने यह कहकर जवाब दिया, ‘हमने इसे बाधित नहीं किया था.’ उन्होंने कहा, ‘संसदीय कार्यवाही में बाधा के लिए सिर्फ कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.’
राजनाथ सिंह ने संघ मुख्यालय का दौरा ऐसे समय किया है, जब उनसे पहले वरिष्ठ पार्टी नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी भी यहां का दौरा कर चुके हैं. आडवाणी ने इस मुलाकात को काफी अहम बताते हुए कहा था कि इसमें हुई चर्चा से देश को दिशा मिलेगी.
अपने इस दौरे को ज्यादा महत्व न देते हुए राजनाथ ने कहा कि उन्होंने मोहन भागवत से सामान्य चर्चा की और इसमें ज्यादा कुछ नहीं देखा जाना चाहिए.
बहरहाल, चुनाव की आहट के बीच राजनाथ सिंह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बीच मुलाकात के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं.