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असम की रणनीति यूपी में भी दोहराएगी बीजेपी

असम से सीख लेते हुए पार्टी ने तय किया है कि स्थानीय मुद्दों को आगे रखा जायेगा. विकास और भ्रष्टाचार के साथ-साथ बेरोजगारी को अहम मुद्दा बनाया जायेगा. राम मंदिर को चुनाव में मुद्दा नहीं बनाया जायेगा.

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बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह

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दिल्ली और बिहार की हार से सबक लेते हुए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने असम में इस बार चुनावी रणनीति में एक साथ कई बड़े बदलाव किए. असम की जीत पार्टी के लिए कई सबक लेकर आई है.

असम में लोकल लीडरशिप की बात मानते हुए पार्टी ने सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का फायदा मिलने के कारण पार्टी को बड़ी जीत मिली. बीजेपी ने अभी से यूपी में मुख्यमंत्री के चहरे की तलाश शुरू कर दी है. बीजेपी ऐसे नेता की तलाश कर रही है जो मायावती और वर्तमान में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जातिगत समीकरण के हिसाब से मात दे सके.

असम से सीख लेते हुए पार्टी ने तय किया है कि स्थानीय मुद्दों को आगे रखा जायेगा. विकास और भ्रष्टाचार के साथ-साथ बेरोजगारी को अहम मुद्दा बनाया जायेगा. राम मंदिर को चुनाव में मुद्दा नहीं बनाया जायेगा. बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने भी ये बात अब बातों-बातों में बोलनी शुरू कर दी है.

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जिस तरह से अमित शाह और राम माधव ने मिल कर असम में गुटबाजी पर लगाम कसी उसी तर्ज पर यूपी में भी अंदरुनी गुटबाजी पर लगाम लगाई जाएगी. क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह ये बात अच्छे से जानते है कि सबसे ज्यादा गुटबाजी अगर कही है तो वो यूपी में ही है.

पार्टी प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्या और यूपी प्रभारी ओम माथुर ने राज्य के सभी पदाधिकारियों को साफ कह दिया है वो सभी छोटे बड़े नेताओ से संपर्क में रहा करें. अगर किसी से भी शिकायत हो तो उसकी नारजगी को समय से दूर कर देना चाहिए. इस बात का हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कार्यकर्ताओं की भावनाओ के सम्मान में कोई भी कमी नहीं रहे.

पीएम मोदी और अमित शाह ये बात बहुत अच्छे से जानते है कि अगर 2017 में यूपी में बीजेपी गलती से भी हार गई तो इस हार की भरपाई 2019 लोकसभा चुनाव तक नहीं हो पाएगी. इसलिए असम में जिस से रणनीति चुनाव जीता गया है उसी पर यूपी में भी काम किया जायेगा और जरूरत पड़ने पर रणनीति में बदलाव किया जायेगा.

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