कर्नाटक में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 13 विधायकों ने मंगलवार को विधानसभा अध्यक्ष के. जी. बोपैया को अपना इस्तीफा सौंप दिया. ये विधायक पार्टी के पूर्व नेता बी.एस. येदियुरप्पा के वफादार बताए जाते हैं.
ये विधायक कर्नाटक जनता पार्टी (केजेपी) में शामिल होने के लिए जल्द ही भाजपा की सदस्यता से भी इस्तीफा देंगे. येदियुरप्पा ने 30 नवंबर को भाजपा और विधानसभा से इस्तीफा देने के बाद केजेपी का गठन किया था.
विधायकों का यह इस्तीफा येदियुरप्पा की उस योजना का हिस्सा है, जिसके तहत वह मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार को विधानसभा में आठ फरवरी को 2013-14 का बजट पेश करने से रोकना चाहते हैं. विधानसभा का 10 दिवसीय बजट सत्र चार फरवरी से शुरू होने वाला है.
समझा जाता है कि बोपैया इन इस्तीफों पर विचार करने के लिए थोड़ा समय लेंगे, जबकि विधायक मांग कर रहे हैं कि उनके इस्तीफे तत्काल स्वीकार किए जाएं.
इन 13 विधायकों में से तीन शेट्टार मंत्रिमंडल में शामिल रहे हैं. सी.एम. उदासी और शोभा करंदलाजे ने जहां पिछले बुधवार को मंत्री पद से इस्तीफा दिया, वहीं सुनील वलयापुरे ने पिछले महीने ही इस्तीफा दे दिया था. उदासी लोक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी संभालते थे, करंदलाजे ऊर्जा, और वलयपुरे अधोसंरचना विकास विभाग देखते थे.
भाजपा ने इस्तीफे स्वीकारने में विलम्ब की एक स्पष्ट रणनीति के तहत अपने दो विधायकों से बोपैया के यहां याचिका दायर करवाई है कि वह इनमें से 12 विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए अयोग्य ठहरा दें, क्योंकि इन विधायकों ने केजेपी की लॉन्चिंग के लिए आयोजित एक सार्वजनिक रैली में हिस्सा लिया था और इस पार्टी की अन्य बैठकों में भी हिस्सा लिया था. यह याचिका सोमवार को दायर की गई थी.
13 विधायकों के इस्तीफ के बाद भी शेट्टार सरकार को कोई खतरा नहीं होगा, क्योंकि सत्ताधारी पार्टी के पास अभी भी 225 सदस्यीय विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष सहित 105 सदस्य होंगे. बीजेपी को एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन है, जो कि कैबिनेट मंत्री है.