भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में बदलाव किए गए हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल को संघ ने वापस बुला लिया है और उनकी जगह बीएल संतोष को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है. बीजेपी में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बाद बीएल संतोष दूसरे नंबर के सबसे पावरफुल शख्सियत होंगे. बीजेपी में इस अहम पद पर संतोष की नियुक्ति के पीछे पार्टी का मिशन साउथ मुख्य वजह माना जा रही है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के साथ सत्ता में वापसी करने में भले ही कामयाब रही हो, लेकिन दक्षिण भारत में कर्नाटक-तेलंगाना छोड़ बाकी राज्यों में उसके हाथ कुछ नहीं लगा है. नरेंद्र मोदी के विजय रथ पर सवार बीजेपी 303 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही, लेकिन दक्षिण भारत के राज्यों में मोदी का जादू पूरी तरह से फीका रहा.
केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बीजेपी अपना खाता भी नहीं खोल पाई और कुछ राज्यों में एक दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा है. इसी के तहत बीजेपी की नजर दक्षिण भारत पर है. यही वजह है कि उत्तर भारत के बाद बीजेपी ने दक्षिण भारत के राज्यों में कमल खिलाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. मिशन साउथ के तहत बीजेपी ने अपना संगठन महामंत्री दक्षिण भारत से चुना है.
पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पूर्वोत्तर के राज्यों की तरह बीजेपी दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अपनी जड़े मजबूत करना चाहती है. इसी के मद्देनजर बीजेपी ने अपना संगठन महामंत्री दक्षिण भारत की सियासी नब्ज को समझने वाले शख्स के हाथों में सौंपी है. बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बने बीएल संतोष मूलरूप से दक्षिण भारत के कर्नाटक से आते हैं.
बीएल संतोष बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बनने से पहले तमिलनाडु, केरल, गोवा और कर्नाटक का जिम्मा संभाल रहे थे. बीजेपी दक्षिण भारत के राज्यों में अपना विस्तार करना चाहती है. ऐसे में बीजेपी बीएल संतोष के दक्षिण भारत के राज्यों में किए कामों से सियासी फायदा उठना चाहती है. इसके अलावा बीजेपी ने आंध्र प्रदेश में पार्टी की जड़ें मजबूत करने के लिए संघ से पार्टी में आए राम माधव और सुनील देवधर को लगाया हुआ है. इन दोनों नेताओं के जरिए बीजेपी पूर्वात्तर के राज्यों में कमल खिलाने में कामयाब रही है.
दक्षिण भारत के केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुल 101 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से बीजेपी 2019 के चुनाव में महज चार सीटें ही जीत सकी है. इन चार राज्यों की बाकी सीटों पर क्षेत्रीय दल और कांग्रेस का कब्जा है. केरल में वामपंथी, तमिलनाडु में एआईएडीएमके, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस और तेलंगाना में टीआरएस की सरकार है. इस तरह से तीन राज्यों में छत्रपों का कब्जा है, जहां बीजेपी अपने आधार को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है.