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कालाधन: खाताधारकों की जानकारी देने में फंसा पेच

विदेशी बैंकों में काले धन के खाताधारकों की जानकारी देने के मामले में 'संधि' ने पेच फंसा दिया है. स्विट्जरलैंड सरकार का कहना है कि भारत के साथ 'टैक्‍स संधि' के तहत दी गई सूचना को 'सिद्धांततः' किसी 'विशिष्ट और सम्बद्ध' मामले में कार्यवाही को छोड़कर किसी अन्य अदालत या निकाय के सामने सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है.

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विदेशी बैंकों में काले धन के खाताधारकों की जानकारी देने के मामले में 'संधि' ने पेच फंसा दिया है. स्विट्जरलैंड सरकार का कहना है कि भारत के साथ 'टैक्‍स संधि' के तहत दी गई सूचना को 'सिद्धांततः' किसी 'विशिष्ट और सम्बद्ध' मामले में कार्यवाही को छोड़कर किसी अन्य अदालत या निकाय के सामने सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है.

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स्विट्जरलैंड की तरफ से यह स्पष्टीकरण भारत सरकार की ओर से एचएसबीसी बैंक, जिनेवा में 627 खाताधारकों के नाम सुप्रीम कोर्ट को दिए जाने के बाद आया है.

एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक स्विस वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि दोनों देशों के बीच डबल टैक्स एग्रीमेंट अंतरराष्ट्रीय मानकों पर है और सरकारों के अनुरोध पर इस जानकारी का आदान-प्रदान भी होता है लेकिन इस एग्रीमेंट (डबल टैक्स एग्रीमेंट- डीटीए) के तहत ऐसी कोई भी जानकारी कोर्ट को 'विशेष कार्यवाही' के संदर्भ में ही दी जा सकती है, जो कि टैक्स मामलों से संबंधित हो और यह जानकारी उसके लिए उपयुक्त हो.

इसके विपरीत, सिद्धांततः जानकारी को किसी अन्य कोर्ट या अन्य किसी के साथ, किसी और कार्रवाई के संदर्भ में साझा नहीं किया जा सकता है. 'गोपनीय' जानकारी के खुलासे को लेकर संधि की शर्तों का उल्लेख करते हुए प्रवक्ता ने बताया कि द्विपक्षीय टैक्स मामलों में दोनों देश लगातार संपर्क में हैं लेकिन उन्होंने इस खास केस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

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टैक्स संबंधी मामलों में भारत और स्विट्जरलैंड के बीच जानकारी साझा करने की नीति 'डबल टैक्सेशन एग्रीमेंट' और प्रोटोकॉल पर आधारित है. दोनों ही देशों ने साल 2010 में इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे और अक्टूबर 2011 से यह प्रभावी है.

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