काला धन वापस लाने के लिए केंद्र सरकार ने कोशिशें तेज कर दी हैं. भारत सरकार की ओर से स्विट्जरलैंड को इस बारे में चिट्ठी लिखी जाएगी. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसकी जानकारी दी.
जेटली ने सोमवार को कहा, 'कई जगह ऐसी खबर आई है कि स्विस अथॉरिटी भारत सरकार के साथ सहयोग के लिए तैयार हैं. वे उन भारतीयों के ब्यौरे देने को तैयार हैं, जिनके स्विस बैंकिंग सिस्टम में अकाउंट हैं. लेकिन वित्त मंत्रालय को इस बारे में स्विट्जरलैंड से कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है. मगर आज हम खुद से ही स्विस प्रशासन को लिख रहे हैं और इसकी प्रक्रिया पूछ रहे हैं.'
स्विट्जरलैंड में तैयार हो चुकी है सूची!
इससे पहले रविवार को खबर आई थी कि स्विट्जरलैंड सरकार ने ऐसे संदिग्ध भारतीयों की सूची तैयार की है जिन्होंने काला धन स्विस बैंकों में जमा किया
हुआ है और स्विस अधिकारी इसे भारत सरकार से साझा करने पर विचार कर रहे हैं.
स्विट्जरलैंड सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश में चल रहे विभिन्न बैंकों में रखे गए धन के वास्तविक लाभार्थियों की पहचान के लिए एक सरकारी जांच में इन भारतीयों और इकाइयों के नाम सामने आए हैं. अधिकारी ने कहा, 'संदेह है कि इन लोगों व इकाइयों ने न्यासों, डोमिसिलिएरी कंपनियों तथा भारत से बाहर दूसरी गैरकानूनी इकाइयों के जरिये बिना कर चुकाया धन स्विस बैंकों में रखा है.'
नहीं बताएंगे नाम और रकम?
हालांकि, अधिकारी ने इन लोगों या इकाइयों और उनकी जमा रकम के बारे में नहीं बताया. अधिकारी ने गोपनीयता प्रावधान तथा दोनों देशों के बीच
द्विपक्षीय सूचना आदान-प्रदान संधि का हवाला देते हुए ब्योरा देने से इनकार किया. अधिकारी ने आगे कहा कि स्विस अधिकारी भारत की नई सरकार के
साथ नजदीकी से काम करने को तैयार हैं और वे काले धन पर नवगठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) को हर जरूरी सहयोग देंगे.
हालांकि, अधिकारी ने इन दावों को खारिज कर दिया कि स्विस बैंकों में जमा भारतीय धन हजारों अरब डॉलर है. स्विस नेशनल बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश के 283 बैंकों में विदेशी ग्राहकों का कुल जमा धन 1,600 अरब डॉलर ही है. स्विस बैंकों में जमा भारतीयों का धन बढ़कर 2.03 अरब स्विस फ्रैंक (14,000 करोड़ रुपये) पर पहुंचने के बारे में उन्होंने कहा कि यह धन उन ग्राहकों का है जिन्होंने खुद को भारतीय घोषित किया है ऐसे में इसके गैरकानूनी धन होने की संभावना नहीं है.
HSBC से अलग है यह सूची
इस वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत के साथ ब्योरा लगातार साझा किया जा रहा है. और यह भारतीय अधिकारियों द्वारा पूर्व में मांगी गई सूचना से
अलग है, जो लीक या चोरी की सूची या ‘एचएसबीसी की सूची’ के आधार पर मांगी गई थीं. स्विस सरकार एचएसबीसी की सूची के आधार पर भारतीयों का
ब्योरा देने से लगातार इनकार करती रही है. यह सूची एक बैंक कर्मचारी ने चुराई थी और बाद में यह भारत सहित अन्य देशों के कर अधिकारियों के पास
पहुंच गई.
भारत के कई बार आग्रह करने के बावजूद स्विट्जरलैंड ने सूचना देने से इनकार करते हुए कहा था कि उसका स्थानीय कानून गैरकानूनी तरीके से प्राप्त सूचना के आधार पर ब्योरा देने से रोकता है. एचएसबीसी की इस कथित सूची में बैंक की स्विस इकाई में काला धन रखने वाले भारतीयों और अन्य देशों के लोगों का नाम था. भारत उन 36 देशों में शामिल है जिनके साथ स्विट्जरलैंड ने कर मामलों में अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार प्रशासनिक सहयोग प्रदान करने की संधि की हुई है.